इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म सभाओं में बड़ी तदाद पर धर्म परिवर्तन कराए जाने से आपत्ति जताते हुए कहा था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश के बहुसंख्यक, माइनॉरिटी बन जाएंगे (Majority will become minority). अब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस टिप्पणी को आर्डर कॉपी से हटाने को कहा है. बता दें के सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें धर्मांतरण मामले में आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा. जिसमें आरोपी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने धर्मांतरण मामले में आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी को आपत्तिजनक मानते हुए उसे हटाने के निर्देश दिए.
सीजेआई ने कहा,
"हम साफ करना चाहते हैं कि माननीय न्यायालय की टिप्पणी से इस मुकदमे की कार्यवाही की तथ्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है."
सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी को हटाने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कमेंट को किसी भी अदालत द्वारा, किसी भी मामले में उद्धृत नहीं किया जाएगा.
दो जुलाई के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा कि धर्म सभाओं में बड़ी तदाद पर धर्म परिवर्तन कराया गया है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश के बहुसंख्यक, माइनॉरिटी बन जाएंगे.
बता दें कि यूपी में एक व्यक्ति कैलाश (याचिकाकर्ता) के ऊपर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 365 (किसी व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से बंधक बनाने के इरादे से अपहरण करना) तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई. आरोप लगाया कि गांव के लोगों को समाजिक समारोह में ले जाकर लोगों का धर्म परिवर्तन करा दिया गया.