Allahabad High Court On Religious Conversions: सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म सभाओं में बड़ी तदाद पर धर्म परिवर्तन कराए जाने से आपत्ति जताई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश के बहुसंख्यक, माइनॉरिटी बन जाएंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए आरोपी को जमानत देने से इंकार किया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने धर्म सभाओं में बड़ी तदाद पर धर्म परिवर्तन कराए जाने पर सख्ती दिखाई है.
अदालत ने कहा,
"यदि ऐसे ही चलने दिया गया तो एक दिन इस देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी. और ऐसे धार्मिक आयोजनों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा है."
राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल पेश हुए.
उन्होंने कहा,
"इस तरह की सभाओं में, इन लोगों द्वारा भारी संख्या में लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है. लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए भारी रकम भी दिए जा रहे हैं."
अदालत ने आगे कहा,
'प्रचार' शब्द का अर्थ है बढ़ावा देना, लेकिन इसका अर्थ किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है."
अदालत ने यह भी कहा,
"यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के विरुद्ध है जो धर्म परिवर्तन कराने को नहीं कहता है, यह केवल अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार-प्रसार की स्वतंत्रता प्रदान करता है."
अदालत ने उक्त टिप्पणी कर आरोपी के जमानत की मांग को खारिज किया है.
FIR के अनुसार, यूपी के हमीरपुर जिले के एक गांव के कई लोगों को सामाजिक समारोह में ले जाया गया जहां उनका ईसाई धर्म में धर्मांतरण किया गया.
शिकायतकर्ता का भाई भी समारोह में गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा. तो उसने संबंधित व्यक्ति से भाई के बारे में जानना चाहा तो उसे बताया गया कि उसका भाई, मानसिक बीमारी से पीड़ित है, उसका इलाज कराया जाएगा और एक सप्ताह के अंदर उसे घर वापस भेज दिया जाएगा. एक सप्ताह बीतने पर शिकायतकर्ता ने अपने भाई की खोज-खबर ली. तो इस बार जो जवाब मिला, उससे उसे शक हुआ.
अदालत के समक्ष मामला पहुंचा. असल सच्चाई सामने आई कि उसके भाई का धर्म परिवर्तन कर दिया गया है. पुलिस ने अदालत को आयोजन को लेकर बताया कि सोनू पास्टर ने इस समाजिक समारोह का आयोजन किया था, वह अभी बेल पर ही है.
अदालत ने गांव के लोगों को समाजिक समारोह में ले जाने वाले व्यक्ति (याचिकाकर्ता) को जमानत देने से इंकार कर दिया है. जिसे शिकायतकर्ता ने भाई का धर्मांतरण करने के लिए आरोपी बनाया है