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BJP MP निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की याचिका शुरू करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, जानें क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि को मामले में अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी होगी. जस्टिस गवई ने कहा कि आप इसे दायर करें. दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है.

Supreme Court, BJP MP Nishikant Dubey

Written by Satyam Kumar |Published : April 21, 2025 1:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि उसे शीर्ष अदालत और चीफ जस्टिस(CJI) संजीव खन्ना की आलोचना करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए पीठ की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. इस मामले का उल्लेख जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष किया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल में आए एक समाचार का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं. जस्टिस गवई ने कहा कि आप इसे दायर करें. दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को मामले में अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी होगी.

अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग

बाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति का अनुरोध किया था. याचिकाकर्ता के अनुसार, दुबे ने शीर्ष अदालत की ‘‘गरिमा को कम करने के उद्देश्य से बेहद निंदनीय’’ टिप्पणी की थी.

पत्र में कहा गया है, 

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‘मैं झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी विनम्र सहमति का अनुरोध करते हुए अदालत अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत यह पत्र लिख रहा हूं. इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियम, 1975 के नियम 3(सी) के साथ पढ़ा जाए। दुबे ने सार्वजनिक रूप से जो बयान दिए हैं, वे बेहद निंदनीय, भ्रामक हैं और इनका उद्देश्य माननीय सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और अधिकार को कमतर करना है.’’

दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर शीर्ष अदालत को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए. बीजेपी सांसद ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को देश में हो रहे युद्धों के लिए जिम्मेदार ठहराया. दुबे की टिप्पणी केंद्र द्वारा अदालत को दिए गए इस आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई की अगली तारीख तक लागू नहीं करेगा. अदालत ने इन प्रावधानों पर सवाल उठाए थे.

BJP ने बयान से किया किनारा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार को दुबे की सुप्रीम कोर्ट की आलोचना वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया. पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने टिप्पणियों को उनका निजी विचार बताया. उन्होंने लोकतंत्र के एक अविभाज्य अंग के रूप में न्यायपालिका के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी के सम्मान की भी पुष्टि की. नड्डा ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को ऐसी टिप्पणियां नहीं करने का निर्देश दिया है.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)