सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा ( BPSC) की प्रिलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग का लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे इसके लिए पहले पटना हाईकोर्ट जाएं. बीपीएससी परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर दायर याचिका में 70वीं संयुक्त प्रिलिम्स परीक्षा में व्यापक धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी जांच सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराए जाने की मांग की गई थी. साथ ही प्रदर्शनकारी छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार जिले के एसएसपी और डीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने बीपीएससी प्रिलिम्स परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए छात्रों से कहा कि वे राहत की मांग के लिए पहले इस रिट याचिका को लेकर पटना हाईकोर्ट में जाएं. बता दें कि आर्टिकल 226 के अनुसार हाईकोर्ट को विशेष रिट जारी करने का अधिकार है, जो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि छात्रों पर जो लाठीचार्ज हुआ था, वह जगह पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के अधिकारिक आवास के नजदीक था और उच्च न्यायालय ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान भी लिया है.
याचिकाकर्ता, सुप्रीम कोर्ट में तीन मांगों को लेकर पहुंचे थे, जिसमें पहला बीपीएससी की परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी. दूसरा, छात्रों के ऊपर बल प्रयोग करने को लेकर पटना के डीएम और एसएसपी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी. वहीं तीसरे मांग में छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वे रिटायर जज की अगुवाई में CBI को प्रीलिम्स परीक्षा में कथित धांधली की जांच के आदेश दें.
घटनाक्रम पर गौर करें, तो प्रिलिम्स रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने राज्य के मुख्य सचिव से बात की, लेकिन जिसका कोई हल नहीं निकल पाया. छात्रों के साथ इस विरोध में शामिल हुए जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को बीते कल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, पटना सिविल कोर्ट से प्रशांत किशोर को 25 हजार रूपये के पीआर बॉन्ड के साथ सशर्त जमानत मिली थी, प्रशांत किशोर ने जमानत बॉन्ड भरने से इंकार किया, जिसके बाद अदालत ने बेऊर जेल भेज दिया गया है.