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'पीड़िता की गलती से ही ऐसा हुआ'... फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सुधार किया

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि कोई जमानत देना चाहता है तो ठीक है, लेकिन ऐसी टिप्पणी क्यों की जाए कि उसने मुसीबत को आमंत्रित किया और यह सब.

Written by Satyam Kumar |Published : April 15, 2025 3:31 PM IST

हाल ही में बलात्कार के एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि पीड़िता ने नशे में धुत होकर आरोपी के घर जाने पर सहमति देकर स्वयं मुसीबत मोल ली. अब इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जमानत याचिका पर फैसला सुनाते समय अदालत की ओर से ऐसी टिप्पणियां क्यों की गईं. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने रेप मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया कि स्तनों को छूना और महिला की पायजामा की डोरी खींचना बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को 'असंवेदनशील' और 'अमानवीय' बताया.

जमानत देते वक्त उससे आगे की टिप्पणी क्यों: SC

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि उसी हाई कोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश द्वारा एक और आदेश पारित किया गया है. जस्टिस गवई ने कहा कि यदि कोई जमानत देना चाहता है तो ठीक है, लेकिन ऐसी टिप्पणी क्यों की जाए कि उसने मुसीबत को आमंत्रित किया और यह सब. इस तरफ (पीठ) भी बहुत सावधान रहना होगा.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि एक आम आदमी इस तरह की टिप्पणियों को कैसे समझता है, इसे ध्यान में रखना आवश्यक है. पीठ ने सुनवाई को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

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हाई कोर्ट रूम आर्गुमेंट

पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि आरोपी ने उसे अपने घर की बजाय अपने रिश्तेदार के घर ले जाकर दो बार बलात्कार किया. हालांकि, आरोपी के वकील ने इस बात का खंडन किया है. पीड़िता ने यह भी कहा है कि वह अपने दोस्तों के साथ बार में गई थी और वहां शराब पीने के बाद उसने आरोपी के घर जाने का निर्णय लिया. आरोपी के वकील ने दावा किया है कि यह बलात्कार का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सहमति से बने संबंध का मामला हो सकता है. आरोपी के वकील ने कहा है कि पीड़िता की शिकायत गलत है और उसके पास कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. वह 11 दिसंबर 2024 से जेल में है, इसलिए मुवक्किल को राहत पाने का अधिकार है.

मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता का हाइमन फटा हुआ पाया गया है, लेकिन डॉक्टर ने यौन हमले के बारे में कोई राय नहीं दी. वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष वयस्क हैं और पीड़िता ने अपनी मर्जी से कार्य किया. अदालत ने कहा कि यदि पीड़िता के आरोपों को सत्य मान लिया जाए, तो भी यह कहा जा सकता है कि उसने खुद ही समस्याओं को आमंत्रित किया है. आरोपी को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता और आवेदनकर्ता दोनों वयस्क हैं. पीड़िता एम.ए. की छात्रा है, इसलिए वह अपने कार्य की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम थी. अदालत का मानना है कि यदि पीड़िता के आरोपों को सत्य माना जाए, तो यह भी कहा जा सकता है कि उसने स्वयं मुसीबत को आमंत्रित किया और इसके लिए जिम्मेदार थी.