नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कार्यकाल को वर्तमान सेवानिवृति की आयु से आगे बढ़ाने के लिए एक प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली की सिफारिश की है। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृति की आयु 65 वर्ष है जबकि देश के 25 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के सेवानिवृति की आयु 62 वर्ष है।
विधि एवं कार्मिक संबंधी स्थायी समिति ने ‘‘न्यायिक प्रक्रिया और उनमें सुधार’’ विषय पर संसद में पेश रिपोर्ट में कहा है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में सेवानिवृति के बाद सार्वजनिक करदाताओं द्वारा वित्त पोषित निकायों या संस्थनों में काम (एसाइनमेंट) करने के चलन की पुन: समीक्षा करनी चाहिए ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) की अध्यक्षता वाली समिति ने नोट किया है कि कई पक्षकारों ने न्यायाधीशों को सेवानिवृति के बाद दायित्व दिये जाने पर आपत्ति व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार, समिति महसूस करती है कि चिकित्सा विज्ञान की उन्नति और स्वास्थ्य की स्थिति, फैसलों की संख्या एवं गुणवत्ता के आधार पर न्यायाधीशों की सेवानिवृति की आयु बढ़ाये जाने पर विचार करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इसके अनुरूप समिति सिफारिश करती है कि भारत के संविधान के संबंधित अनुच्छेद का संशोधन करने की आवश्यकता है तथा उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु को समुचित रूप से बढ़ाया जा सकता है’’ इसमें कहा गया है कि अभी की स्थिति के अनुसार, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की सेवानिवृति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
गौरतलब है कि संप्रग सरकार के दूसरे शासन काल में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान करने के प्रावधान वाला एक विधयेक लोकसभा में लाया गया था। पर इस पर विचार नहीं किया गया और यह निष्प्रभावी हो गया।