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Calcutta HC के आदेश के खिलाफ Suvendu Adhikari की याचिका पर SC चार अगस्त को करेगा सुनवाई

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की पुलिस को अनुमति दी है कि अगर कई समूहों में दुश्मनी बढ़ाने का अपराध हुआ है तो पुलिस को उन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकते हैं। इस आदेश के खिलाफ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका को उच्चतम न्यायालय 4 अगस्त, 2023 को सुनेगी..

Supreme Court of India- Suvendu Adhikari

Written by Ananya Srivastava |Published : July 28, 2023 9:23 AM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से दायर याचिका पर चार अगस्त को सुनवाई करेगा जिसमें पश्चिम बंगाल पुलिस को इस बात की इजाजत दी गई है कि यदि विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने का अपराध हुआ है तो वह उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकती है।

उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने सितंबर 2021 और दिसंबर 2022 के अपने आदेशों में कहा था कि अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए और कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाए। वह पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष हैं।

समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से एकल न्यायाधीश ने अधिकारी की याचिकाओं पर किए गए इन दावों पर आदेश जारी किए थे कि जब से उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को छोड़कर भाजपा का दामन थामा है तब से उनके खिलाफ तुच्छ मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

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उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 20 जुलाई को उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने) के तहत अपराध किया है।

अपने आदेश में पीठ ने कहा कि याचिका को पुलिस प्राधिकरण के समक्ष एक शिकायत के तौर पर देखा जाए तथा राज्य पुलिस कानून के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करे और ध्यान से जांच कर पता लगाए याचिका में बताए गए कृत्य क्या आईपीसी की धारा 153-ए के तहत अपराध हैं? उच्च न्यायालय ने कहा था, “ अगर वे संतुष्ट होते हैं तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर लें।”

अधिकारी ने 20 जुलाई के उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। मामला तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के सामने आया।

अधिकारी की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय के छह सितंबर 2021 और आठ दिसंबर 2022 के आदेशों के तहत उन्हें संरक्षण प्राप्त था और आदेशों के मुताबिक, अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती थी।

वकील ने कहा कि अधिकारी के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 20 जुलाई के आदेश का हवाला दिया। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि इसपर (अधिकारी की याचिका पर) चार अगस्त को सुनवाई होगी।

वकील ने याचिका को सुनवाई के लिए 31 जुलाई को सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए कहा कि अधिकारी ‘संकटपूर्ण स्थिति’ में हैं। पीठ ने कहा कि मामले को 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध करना मुमकिन नहीं होगा, क्योंकि मामला पहले से चार अगस्त के लिए सूचीबद्ध है। उसने कहा कि याचिका को चार अगस्त की सूची से हटाया नहीं जाएगा।