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SC के निर्देश पर Ford India को देना पड़ा लाखों का मुआवजा, गाड़ी में था Manufacturing Defect

गाड़ियों की कंपनी फोर्ड इंडिया लिमिटेड को उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए इस एक गाड़ी में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के चलते गाड़ी के मालिक को लाखों रुपये का मुआवजा देना पड़ रहा है। यह मुआवजा क्या है, गाड़ी कौन सी है और उसमें क्या दिक्कत थी, जानिए...

Supreme Court orders Ford India Ltd to Pay 42 Lakhs Compensation to Ford Titanium Endeavour Owner

Written by Ananya Srivastava |Published : July 10, 2023 11:37 AM IST

नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) ने हाल ही में कार कंपनी फोर्ड इंडिया लिमिटेड (Ford India Limited) को निर्देश दिया है कि उन्हें एक गाड़ी के मालिक को लाखों रुपये मुआवजा देना होगा क्योंकि उस Vehicle में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट (Manufacturing Defect) था।

बता दें कि मामला फोर्ड टाइटेनियम एंडेवर 3.4एल (Ford Titanium Endeavour 3.4L) से जुड़ा था और यह शिकायत 'पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग' (Punjab State Consumer Commission) में दर्ज की गई थी।

SC ने फोर्ड को दिया ये निर्देश

बता दें कि उपभोक्ता आयोग में दर्ज शिकायत पर सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की पीठ ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने कंपनी को निर्देश दिया कि वो गाड़ी के मालिक को 42 लाख रुपये मुआवजा दें।

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इस मुआवजे में से छह लाख रुपये पहले से ही राज्य उपभोक्ता आयोग के ऑर्डर पर दिए जा चुके थे; अब बाकी का मुआवजा देने का निर्देश कंपनी को दिया गया है।

इसके साथ-साथ कंपनी से कहा गया है कि वो शिकायतकर्ता को गाड़ी के इन्श्योरेन्स के लिए 87 हजार रुपये अलग से देंगे। शिकायतकर्ता को जब कुल मिलाकर 36,87,000 रुपये मिल जाएंगे, तो उन्हें गाड़ी कंपनी को देनी होगी।

Ford Titanium Endeavour में था मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट

जैसा कि हमने आपको अभी बताया, शिकायतकर्ता ने शिकायत पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग में दर्ज की थी; उनका यह कहना था कि जब से उन्होंने फोर्ड की 'टाइटेनियम एंडेवर' खरीदी है, तब से उसमें ऑइल लीकेज के साथ-साथ कई परेशानियां आ रही हैं।

इस शिकायत के आधार पर उपभोक्ता आयोग ने कंपनी को यह निर्देश दिया था कि वो गाड़ी के इंजन को बिन कोई पैसे लिए, फ्री में बदल दें और हर दिन के लिए दो हजार रुपये गाड़ी के मालिक को दें। राष्ट्रीय आयोग (National Commission) ने इस ऑर्डर की पुष्टि भी की थी जिसके बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सर्वोच्च न्यायालय में जब तक मामला लंबित था, कंपनी ने आयोग के निर्देश का पालन करते हुए गाड़ी का इंजन बदल दिया था लेकिन इसके बाद भी उपभोक्ता की शिकायत दूर नहीं हुई। उनका यह कहना था कि इंजन के रिप्लेसमेंट के बाद गाड़ी चलाने लायक नहीं थी, उसमें अभी भी इतनी दिक्कतें थीं कि वो अच्छी तरह चल नहीं रही थी।