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'कस्टमर को 'दुधारू गाय' समझना बंद करें', खराब फोन बेचने के लिए कंज्यूमर फोरम ने फोन डीलर और Nokia पर लगाया जुर्माना

उपभोक्ता फोरम ने शिकायतकर्ता को मोबाइल फोन की खरीद मूल्य ₹6,700/- की वापसी, ₹5,000/- का मुआवजा और ₹5,000/- का मुकदमे का खर्च देने का आदेश दिया है.

Written by Satyam Kumar |Published : February 24, 2025 1:49 PM IST

एक व्यक्ति ने नोकिया का फोन खरीदा, फोन में कुछ दिनों के बाद ही खराबी आ गई. फोन गारंंटी-वारंटी में था, लेकिन फोन डीलर और कंपनी के कस्टमर केयर से कोई प्रभावी राहत नहीं मिला. थकहार कर उसने कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कराई, कंज्यूमर फोरम ने फोन डीलर और कंपनी को अपने सर्विस में खामियां पाते हुए दोषी ठहराया है. कंज्यूमर फोरम यानि उपभोक्ता अदालत ने कहा कि कस्टमर यानि ग्राहक (Customer) को दुधारू गाय (Cash Cow) समझना बंद करना चाहिए, उनकी शिकायतों का सही तरीके से निपटारा करना चाहिए. आइये जानते हैं कि कंज्यूमर फोरम ने फोन डीलर और नोकिया पर कितना जुर्माना लगाया है. यह मामला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए.

नोकिया फोन खरीदा, लेकिन खराब हुआ

मामले में शिकायतकर्ता ने 29/06/2018 को फोन डीलर से एक मोबाइल फोन (Nokia-2TA 1011 DS) खरीदा था, जिसकी कीमत ₹6,700/- (छह हजार सात सौ रुपये) थी. शिकायतकर्ता का दावा है कि उसने इस मोबाइल फोन को मोबाइल फोन Nokia के आश्वासन यानि एड देखकर  खरीदा था, जो इसकी मजबूती और खराब नहीं होने का दावा करते थे. शिकयतकर्ता ने कंज्यूमर फोरम को बताया कि इस दावे के अलावे फोन में एक वर्ष की वारंटी भी थी, लेकिन खरीदने के तुरंत बाद ही फोन में समस्याएं आने लगीं, जिससे इसका इस्तेमाल कठिन हो गया. इसके बाद, फोन डीलर के निर्देशानुसार, फोन को कई बार ठीक करने के लिए नोकिया मोबाइल केयर (M/s. Thrissur Mobile Care) में दिया, लेकिन फिर भी फोन में कोई सुधार नहीं हुआ है. साथ ही बार-बार शिकायत करने के बाद भी उसे फोन डीलर और कंपनी की तरफ से कोई राहत नहीं दिया गया है. कोई राहत नहीं पाकर व्यक्ति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12(1) के तहत कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज कराया.

उपभोक्ता फोरम में, अध्यक्ष सीटी साबू, सदस्य श्रीजा एस और राम मोहन की अगुवाई तीन सदस्यों की पीठ ने मामले को सुना. उपभोक्ता अदालत (Consumer Forum) ने मामले पर विचार करने के लिए इन बिंदुओं पर विचार किया. क्या फोन में बनाने में ही कोई दोष है, क्या सेवा में कमी है, और क्या उपभोक्ता को अपनी खरीद की कीमत वापस मिलनी चाहिए और कितनी पैसा उसे वापस मिलना चाहिए.

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उपभोक्ता फोरम ने कहा कि फोन में खरीद के कुछ ही दिनों बाद समस्याएं दिखाना शुरू कर दिया. यह सिद्ध होता है कि फोन के बनाने में दोष था. कंज्यूमर फोरम ने कहा कि शिकायतकर्ता कई बार सर्विस सेंटर में फोन बनवाने के लिए ले गया. फोरम ने कहा कि एक नए मोबाइल फोन को खरीदने के कुछ दिनों में ही कई बार मरम्मत के लिए भेजना अनावश्यक है, जब तक कि डिवाइस के बनाने में ही कोई दोष न हो. दोषपूर्ण मोबाइल फोन का निर्माण और बिक्री उपभोक्ता के लिए अनुचित व्यापार प्रथा है, साथ ही फोन डीलर ने पहले कंपनी के साथ मिलकर फोन के दोषों को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. इसलिए, दोनों प्रतिवादियों (मोबाइल बेचने वाले डीलर और कंपनी नोकिया) की ओर से सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा स्पष्ट है. शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत को साबित किया है और उसे फोन की खरीद मूल्य की वापसी और मुआवजे का अधिकार है.

ग्राहक को मिलेगा मुआवजा

उपभोक्ता अदालत ने पाया कि ग्राहक को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा के कारण मानसिक पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. इसलिए आयोग ने उपभोक्ता को मोबाइल फोन की खरीद मूल्य, यानी 6,700 रुपये की वापसी, 5,000 रुपये का मुआवजा और 5,000 रुपये का मुकदमे का खर्च देने का आदेश दिया है. अदालत ने शिकायत दर्ज करने की तिथि से 9% प्रतिशत से कुल राशि के दर पर ब्याज देने का फैसला सुनाया है. अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि उपभोक्ता को वह राशि लौटाई जानी चाहिए, जो उसने मोबाइल फोन के लिए चुकाई थी. इसके अलावा, मानसिक पीड़ा और कठिनाई के लिए भी मुआवजा दिया जाना चाहिए. प्रतिवादियों को इस आदेश का पालन करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है. यदि सभी निर्देशों का पालन किया जाता है, तो प्रतिवादी मोबाइल फोन को उचित स्वीकृति के साथ वापस ले सकते हैं.