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Airtel पर लगा पांच लाख का जुर्माना उपभोक्ता आयोग ने रखा बरकरार, ग्राहक की शिकायत हल 'नहीं' करने का है मामला

दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) ने भारती एयरटेल लिमिटेड पर लगे पांच लाख के जुर्माने को बरकरार रखा है. कंपनी पर ग्राहक की शिकायतें एवं पैसे की भुगतान के वाबजूद उसकी सेवाएं बंद कर उसे लीगल नोटिस भेजने का आरोप था.

Written by Satyam Kumar |Published : July 8, 2024 1:06 PM IST

हाल ही में दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) ने भारती एयरटेल लिमिटेड पर लगे पांच लाख के जुर्माने को बरकरार रखा है. कंपनी पर ग्राहक की शिकायतें एवं पैसे की भुगतान के वाबजूद उसकी सेवाएं बंद कर उसे लीगल नोटिस भेजने का आरोप था. ग्राहक ने इस बात की शिकायत दिल्ली जिला उपभोक्ता अदालत में की. अदालत ने ग्राहक की शिकायत पर कंपनी की कार्रवाई में खामियां पाई, जिसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने टेलीकॉम कंपनी पर 5 लाख का जुर्माना लगाया था.

सेवा देने में कंपनी लापरवाह, आयोग ने जुर्माने को रखा बरकरार

टेलीकॉम कंपनी ने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले को दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चुनौती दी. आयोग में जस्टिस संगीता ढ़ीगरा की अगुवाई वाली बोर्ड ने इस मामले को सुना. उन्होंने जिला फोरम के फैसले को सही पाया.

सितंबर, 2014 में जिला उपभोक्ता फोरम ने टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल पर 5 लाख का जुर्माना लगाया था. 5 लाख की राशि में 3 लाख रूपये राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने और बची 2 लाख की राशि शिकायतकर्ता (ग्राहक) को उसकी तकलीफों को लेकर भुगतान करने के निर्देश दिए थे.

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मामला क्या है?

शिकायतकर्ता जसमीत सिंह को मार्च 2013 में टेलीकॉम कंपनी की तरफ से सूचित किया गया कि इंटरनेट और फोन सेवाओं के भुगतान के लिए जो चेक दी थी, वह बाउंस हो गया है. शिकायतकर्ता ने सेवा प्रदाता( Service Provider) से बैंक अकाउंट की जांच करने को कहा और कंपनी की अकाउंट में राशि जमा करने की बात भी कहीं.

कंपनी ने ग्राहक के अनुरोध को अनदेखा करते हुए उसकी सेवाएं बंद कर दी. साथ ही 7,549 रूपये का लीगल नोटिस भी भेजा. जिसके बाद कस्टमर ने कंपनी की शिकायत उपभोक्ता फोरम में की.

उपभोक्ता फोरम ने पाया कि टेलीकॉम कंरनी ने ना तो शिकायत दर्ज की, ना ही मामले में कोई उचित कदम उठाया जिसके बाद उपभोक्ता फोरम ने कंपनी ने पांच लाख का जुर्माना लगाया. अब जिला फोरम के फैसले को दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बरकरार रखा हैं.