बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने केरल डीएम नवीन बाबू (Naveen Babu) की पत्नी मंजूषा द्वारा दायर याचिका को खारिज किया. दिवंगत डीएम नवीन बाबू की पत्नी ने उनके पति के निधन के मामले की CBI जांच कराने की मांग की थी. यह मामला तब सामने आया जब डीएम नवीन बाबू, जो कि केरल में एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट थे, 15 अक्टूबर 2024 को अपने आधिकारिक आवास पर फांसी पर लटके पाए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) और जस्टिस के विनोद चंद्नन (Justice K Vinod Chandran) शामिल थे, ने केरल हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने 3 मार्च को मृतक डीएम की पत्नी मंजूषा की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर जांच CBI को नहीं सौंपी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच के लिए ठोस तथ्यों पर आधारित उचित आशंका होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान, मंजूषा के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील फर्नाडीस ने तर्क किया कि नवीन बाबू का सेवा रिकॉर्ड 30 वर्षों का था और वह जल्द ही रिटायर होनेवाले थे. उन्होंने कहा कि उन्हें कन्नूर से उनके गृह जिले में स्थानांतरित किया जा रहा था, और फेयरवेल समारोह में दिव्या ने उनके खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां की. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंजूषा की याचिका को खारिज करते कह कि जांच का निर्णय हाई कोर्ट द्वारा पहले ही लिया जा चुका है और मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है जो CBI जांच की आवश्यकता को दर्शाता हो.
मृतक डीएम नवीन बाबू की पत्नी ने आरोप लगाया कि उनके पति की आत्महत्या के पीछे एक हत्या आशंका है. उन्होंने यह भी कहा कि CBI या क्राइम ब्रांच जैसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की आवश्यकता है, क्योंकि राजनीतिक प्रभाव के कारण मामले की निष्पक्षता पर संदेह है. मंजूषा ने कहा कि उनके पति आत्महत्या के समय दिव्या के सार्वजनिक आरोपों से बहुत परेशान थे. पीपी दिव्या (PP Divya), जो कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सदस्य हैं और वर्तमान में केरल में सरकार में हैं, पर डीएम नवीन बाबू की आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है. डीएम की पत्नी ने दावा किया था कि फेयरवेल समारोह में दिव्या द्वारा नवीन बाबू पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद यह विवाद बढ़ा, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया.