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जस्टिस बीआर गवई देश के अगले CJI होंगे, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा की

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के अगले 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को उनका नाम सुझाया है.

जस्टिस बीआर गवई

Written by Satyam Kumar |Published : April 17, 2025 10:24 PM IST

भारत के वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Justice BR Gavai) को अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है. जस्टिस गवई वर्तमान सीजेआई संजीव खन्ना के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियरमोस्ट जज हैं और वे 14 मई को 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. वहीं, सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस बीआर गवई कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्त करने, चुनावी बॉन्ड योजना, नोटबंदी, अनुसूचित जातियों के भीतर आरक्षण और बिना स्टांप वाले समझौतों में मध्यस्थता खंड से संबंधित महत्वपूर्ण फैसलों में भूमिका निभाई है. उन्होंने किसी भी संपत्ति को गिराने से पहले कारण बताओ नोटिस दिया जाना चाहिए जैसे महत्वपूर्ण जजमेंट सुनाए है. अदालत की नियुक्ति प्रक्रिया के अनुसार, कानून मंत्री CJI को उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने के लिए लिखते हैं. साथ ही इसमें सिफारिश में वरिष्ठतम न्यायाधीश को CJI के पद के लिए उपयुक्त माना जाता है.

जस्टिस बीआर गवई का शुरूआती करियर

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को अमरावती में हुआ था. उन्होंने 16 मार्च, 1985 को वकील के रूप में करियर शुरू किया. इस दौरान वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे हैं. उन्होंने 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने.

वहीं, जस्टिस बीआर गवई 52वें CJI के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे. उनका कार्यकाल CJI के रूप में छह महीने से अधिक होगा. बताते चलें कि जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था, जो कि 23 नवंबर 2025 समाप्त होगा.

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जस्टिस बीआर गवई के ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं. दिसंबर 2023 में, उन्होंने एक पांच-जजों की संविधान पीठ का हिस्सा बनकर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के केंद्र के निर्णय को सर्वसम्मति से सही ठहराया.

एक अन्य पांच-जजों की संवैधानिक पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति गवई शामिल थे, ने राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना को निरस्त कर दिया. यह निर्णय लोकतंत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. जस्टिस गवई उस पांच-न्यायाधीश संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे हैं, जिसने 2016 में 1000 और 500 रुपये के नोटों को अवैध घोषित करने के केंद्र के निर्णय को 4:1 बहुमत से मंजूरी दी.

एक सात-न्यायाधीश संविधान पीठ में, जस्टिस गवई ने यह फैसला सुनाया कि राज्य संविधान के तहत अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने के लिए संविधानिक रूप से सक्षम हैं. यह निर्णय उन जातियों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण था जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी थीं.

एक महत्वपूर्ण निर्णय में, जस्टिस गवई ने पूरे भारत में दिशा-निर्देश स्थापित किए, जिसमें कहा गया कि किसी संपत्ति को बिना पूर्व शो-कॉज नोटिस के नहीं ध्वस्त किया जाना चाहिए और प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए. वर्तमान में, जस्टिस गवई उन मामलों की सुनवाई कर रहे हैं जो वन, वन्यजीव और पेड़ों की सुरक्षा से संबंधित हैं. यह पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है.

(खबर PTI इनपुट पर आधारित है)