नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक के काफिले पर हुए हमले की जांच सीबीआई से कराने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है
कोलकोता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस हाईकोर्ट को भेजने के आदेश दिए है. सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट के कुछ अंशों पर भरोसा किया है. हाईकोर्ट ने स्थिति रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की है, जहां यह की गई कार्रवाई को दर्शाता है.
Supreme Court ने High Court से पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा रखी गई सामग्री पर नए सिरे से विचार करने और यह तय करने के लिए कहा कि क्या मामले की CBI जाँच की आवश्यकता है.
सीजेआई ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह सीबीआई का मामला नहीं है.. लेकिन अदालत को कार्रवाई रिपोर्ट पर विचार करने दीजिए.
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में गिरफतार किए गए लोगो में से 6 लोग टीएमसी के है, सीबीआई को बिना सहमति के अपने क्षेत्र में प्रवेश देने के न्यायिक नियम का क्या मतलब होगा अगर मामले की जांच सीबीआई को सौपी जाती है.
सिंघवी ने कहा कि पुलिस के एडिशनल हलफनामें में कहा गया है कि मंत्री की कार का रूट हमें नहीं पता था और ना ही बैठक की मंजूरी ली गई थी, इस मामले में 48 लोगो को गिरफतार किया गया है.
शुभेन्द्र अधिकारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि राज्य मंत्री को सीआईएसएफ सुरक्षा मिली हुई थी अैर सीआईएसएफ के कहने पर एक दिन बाद मामला दर्ज किया गया.
अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने यह कहते हुए एफआईआर को बदल दिया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने टीएमसी पर हमला किया था और फिर भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.
गौरतलब है कि फरवरी महीने में पश्चिम बंगाल के कूचबिहार (Cooch Behar) जिले के दिनहाटा इलाके में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक पर हमला हुआ था. इस मामले में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने हमले के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था.
पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी कि सरकार द्वारा सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली गई थी और इस मामले में पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच कर रही है.
अपील में कहा गया कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट का सही से आंकलन नहीं किया है.