कलकत्ता डॉक्टर रेप-मर्डर की घटना की आग अभी ठंडी नहीं हुई थी कि राज्य में एक आईएएस अधिकारी की पत्नी से रेप करने का मामला सामने आया है (Rape With IAS Officer's Wife on gunpoint). जब ये मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के सामने पहुंचा तो अदालत ने फिर पुलिस की जांच में खामियां पाई (Calcutta High Court Found loopholes in police investigation).
कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने मामले की जांच डिप्टी कमिश्नर लेवल के अधिकारी सौंपने का आदेश दिया. बहस के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा जब रेप की शिकायत दर्ज कराई गई तो पीड़िता का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया. कलकत्ता हाईकोर्ट ने एफआईआर सही से दर्ज नहीं करने और चार्जशीट को की खराब स्थिति देखते हुए जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाया है.
मामले में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा किया था. वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपी की जमानत व अग्रिम जमानत को रद्द करते जांच अधिकारी (Investigating Officer) को भी केस से हटा दिया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस की लापरवाहियों का पुलिंदा देखते हुए कहा कि पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास की सीसीटीवी फुटेज (CCTV Footage) की जांच भी नहीं की. कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया कि आरोपी के परिवार को पुलिस स्टेशन में ही धमकी भी दी गई, इसके बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया. कलकाता हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े लेक पुलिस ओपी (थाना प्रभारी), एक सब इंस्पेक्टर, एक सार्जेंट और तीन महिला पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
घटना 14 -15 जुलाई की रात की है, जिसमें आरोपी ने रात 11:30 बजे पीड़िता के घर में घुसकर बंदूक की नोक पर उसके साथ बलात्कार किया. घटना के अगले दिन पीड़िता नजदीकी लेक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने गई. पीड़िता के अनुसार, पुलिस ने घंटो तक उसे बिठा कर रखा और संज्ञीन अपराध होने के बावजूद मामूली धाराओं में शिकायत दर्ज की. पीड़िता ने अदालत को बताया कि पुलिस स्टेशन में आरोपी के परिवार ने पीड़िता को धमकी दी थी. पीड़िता शिकायत को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष याचिका लेकर गई, तब जाकर अदालत ने त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए.