नई दिल्ली: Bombay High Court ने शिवाजी महाराज पर दिए गए बयान को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है.
जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस अभय वाघवासे ने रामा कतरनवारे द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए कहा कि अपने आदेश में कहा है कि पहली नजर में उनकी टिप्पणियां फौजदारी अपराध के तहत साबित नही होती.
अदालत ने कहा कि इनके बयान वक्ता की समझ और विचारों को दर्शाते हैं, जिसका लक्ष्य दर्शकों/श्रोताओं को समझाना है और उनकी मंशा समाज की बेहतरी के लिए उसको ज्ञान देना है.
अदातल ने कहा कि ये बयान इतिहास के विश्लेषण की प्रकृति के थे और कोश्यारी का इरादा समाज को प्रबुद्ध करना था, न कि किसी महान व्यक्ति का अनादर करना.
याचिका में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुधांशु त्रिवेदी के खिलाफ छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, उनकी पत्नी सावित्रीबाई और 'मराठी माणूस' के बारे में बयान देने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी.
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनो के बयान प्रथम दृष्टया किसी भी आपराधिक कानून के तहत दंडनीय अपराध के तहत नहीं आते है.
अदालत ने कहा "इसलिए, इन बयानों को किसी भी महान व्यक्ति के लिए अपमानजनक, सामान्य रूप से समाज के सदस्यों द्वारा और विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा उच्च सम्मान के खिलाफ नहीं देखा जा सकता है."
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि चूंकि दोनों "अत्यधिक राजनीतिक" व्यक्ति है, जिनके खिलाफ केवल एक संवैधानिक अदालत ही अपराध के पंजीकरण के लिए निर्देश जारी कर सकती है.
बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज करने के आदेश दिए.