मराठा आरक्षण के विरोध में जनहित याचिका (PIL) दायर हुई. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में दायर इस याचिका में महाराष्ट्र राज्य द्वारा दिए मराठा समुदाय (Maratha Community) को 10 प्रतिशत आरक्षण के कानून पर सवाल उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि इस कानून से संविधान (Constitution) की आर्टिकल 14, 15, 16 और 21 का उल्लंघन हो रहा है. बता दें कि, महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra State) ने 20 फरवरी के दिन महाराष्ट्र राज्य स्टेट रिजरवेशन एक्ट, 2024 लागू किया है.
समाजिक कार्यकर्ता भाऊसाहेब पवार ने PIL दायर की है. महाराष्ट्र के 2024 के आरक्षण नियम लागू होने से संविधान के आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार), आर्टिकल 15 (धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव), आर्टिकल 16 (राज्य सेवा नौकरी के लिए समान मौका) और आर्टिकल 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन हो रहा है.
याचिकाकर्ता ने कहा,
“राज्य ने मराठा समुदाय को आरक्षण नेता मनोज जारांगे पाटिल के विरोध और आंदोलन के दबाव में आकर दिया है.”
मराठा समुदाय को राज्य में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएसबीसीसी) की रिपोर्टो की सिफारिशों पर बना हैं.यह रिपोर्ट हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सुनील शुक्रे की अध्यक्षता वाली समिति ने जारी किया है.
जनहित याचिका (PIL) के अनुसार, मौजूदा रिपोर्ट में पहले के कई आयोगों के निष्कर्षों को नजरअंदाज किया गया है, जिसमें मराठा समुदाय राज्य की एक प्रमुख वर्ग होने की बात कही गई है.
याचिकाकर्ता ने कहा,
“आयोग ने 8-10 दिनों के भीतर सभी कथित डेटा एकत्र किए, हालांकि यह कल्पना से परे है कि राज्य आयुक्त राज्य में मराठा समुदाय के पर्याप्त प्रतिनिधित्व को जानने के लिए पर्याप्त डेटा इतनी जल्दी कैसे एकत्र कर सकते हैं.”
PIL में है ये मांग:
PIL में इन मांगो रखा गया है.