पटना हाईकोर्ट ने विष्णुपद मंदिर से जुड़े 46 साल पुराने मामले में अपना फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि विष्णुपद मंदिर एक सार्वजनिक धार्मिक न्यास है. और विष्णुपद मंदिर के प्रबंधन का जिम्मा राज्य धार्मिक न्यास परिषद का है.
46 साल पुराना है मामला
जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा की एकल बेंच ने गायवाल पुजारियों की द्वितीय अपील को रद्द कर दिया. इस फैसले के साथ ही 46 साल लंबी कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई. पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि विष्णुपद मंदिर एक सार्वजनिक न्यास है, वहीं पूजा कराने के दौरान मिले दक्षिणे पर गायवाल ब्रह्मणों का हक है.
अतीतकाल से प्रसिद्ध है विष्णुपद मंदिर
हाईकोर्ट ने यह तय किया कि हजारों साल पुराने विष्णुपाद मंदिर और उसके आस-पास के तीर्थ स्थल गया क्षेत्र कहा गया है, वहां अतीत काल से लोग अपने पितरों के मोक्ष के लिए आते रहे हैं. जिससे विष्णुपद तीर्थस्थल का लाभ सभी को मिलता है, और इस पर सिर्फ वहां आस-पास रहने वाले गयावाल पुजारियों का हक साबित नहीं होता. इन परिस्थितियों के अनुसार विष्णुपाद मंदिर एक धार्मिक न्यास है.
पटना हाईकोर्ट ने यह फैसला गायवाल ब्रह्मणो के द्वितीय अपील पर सुनवाई करते हुए दी.
रामायण से जुड़े तार
गायवाल ब्रह्माणों ने द्वितीय अपील में सुनवाई के दौरान दस्तावेजीय सबूत के तौर पर वाल्मिकी रामायण. महाभारत, अग्नि पुराण, वायु पुराण, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी और गया के प्रथम जिला गजट (ब्रिटिश राज) को पेश किया गया.
दक्षिणा पर पुजारियों का अधिकार
पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विष्णुपद मंदिर एक सार्वजनिक न्यास है, जिसके प्रबंधन का जिम्मा राज्य धार्मिक न्यास परिषद का है. अब, वहां के गायवाल पुजारी मंदिर की देखभाल नहीं करेंगे. वहीं, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि विष्णुपद मंदिर में पूजा कराने और वहां आने वाले लोगों का पिंड दान कराने पर दक्षिणा लेने का अधिकार गायवाल ब्राह्मणों का है.