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NEET-UG पेपर लीक के आरोपी को बड़ी राहत, Patna HC से मिली जमानत

पटना हाई कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 प्रश्नपत्र लीक मामले में आरोपी सिकंदर यादवेंदु को बुधवार को जमानत दी है. हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए यादवेंदु को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया.

Written by Satyam Kumar |Published : April 9, 2025 9:55 PM IST

आज पटना हाई कोर्ट ने नीट-यूजी के आरोपी सिकंदर यादवेंन्दु को जमानत दी है. हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए यादवेंदु को कहा कि वे चल रही जांच और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ पूरी तरह सहयोग करें. जब अदालत के सामने उनके वकील ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ आरोप निराधार हैं और सबूतों से समर्थित नहीं हैं. उन्होंने केवल अपने परिवार के सदस्यों के लिए होटल का कमरा बुक करवाया था और कथित साज़िश में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. शुरुआती मीडिया रिपोर्ट्स में सिकंदर यादवेंन्दु को 'मास्टरमाइंड' बताया गया था. हालांकि, उनके वकील के अनुसार, उन पर केवल अपने परिवार के लिए होटल का कमरा बुक कराने का आरोप था, प्रश्नपत्र लीक करने या सॉल्वर गिरोहों की मदद करने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. सीबीआई ने FIR में आठ लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें सिकंदर यादवेंन्दु भी शामिल हैं. जांच के दौरान 30 से ज़्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन मुख्य आरोपी संजीव मुखिया अभी भी फरार है.

NEET-UG पेपर लीक का मामला

पहले, यह मामला पटना के शास्त्री नगर पुलिस थाने के तहत दर्ज किया गया था और बाद में इसे बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था. CBI ने 23 जून 2024 को औपचारिक रूप से जांच का कार्यभार संभाला. आरोपी सिकंदर यादवेंन्दु के वकील अपूर्व हर्ष ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और सबूतों के बिना हैं. उन्होंने कहा कि यादवेंदु की केवल भूमिका अपने परिवार के सदस्यों के लिए एक होटल का कमरा व्यवस्था करना थी और उनका लीक या सॉल्वर गैंग से कोई संबंध नहीं था.

NEET-UG रीएग्जाम कराने से SC ने किया था इंकार

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच नीट यूजी को रद्द करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की थी. सीजेआई ने रीएग्जाम व काउंसिलिंग पर रोक लगाने से इंकार किया था. अदालत ने कहा था कि NEET UG का दोबारा से कराने का निर्देश देने से परीक्षा में शामिल होने वाले 2 मिलियन छात्रों पर गंभीर परिणाम होंगे, जिनमें (1) मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन का शेड्यूल बिगड़ेगा; (2) चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पर प्रभाव; (3) भविष्य में चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता पर प्रभाव और (4) हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए गंभीर नुकसान शामिल हैं.

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