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देशभर की अदालतों में चार लाख से अधिक मामले 25 वर्ष से लंबित - कानून मंत्री किरेन रीजीजू

केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया है कि देश भर के अदालतों में चार लाख से अधिक मामले ऐसे हैं जो 25 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित हैं. रीजीजू ने बड़ी संख्या में पेडिंग मुकदमों के कई कारण बताए है.

Written by My Lord Team |Published : February 3, 2023 7:52 AM IST

नई दिल्ली: केन्द्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में जानकारी देते हुए बताया है कि देश भर के अदालतों में चार लाख से अधिक मामले ऐसे हैं जो 25 वर्षों से भी अधिक समय से लंबित हैं. कानून मंत्री के अनुसार ऐसे लंबित मामलों की कुल संख्या 4,01,099 है.

कानून मंत्री रीजीजू के अनुसार 27 जनवरी 2023 तक ICMIS से प्राप्त डाटा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में 25 वर्षों से अधिक समय तक पेडिंग मुकदमों की संख्या 81 है.

कानून मंत्री के अनुसार 30 जनवरी 2023 तक राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (NJDG) पर उपलब्ध डाटा के अनुसार सभी हाईकोर्ट में 25 वर्षों से अधिक समय से पेडिंग मुकदमों की संख्या 1,24,810 है. वहीं जिला अदालतों में यह संख्या 2,76,208 है.

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केंद्रीय मंत्री ने उनसे पूछे गए एक सवाल कि 'क्या न्याय के लिए लंबे समय तक चल रहे मुकदमों पर होने वाले खर्च का कोई अध्ययन कराया गया है, जिससे पता चल सके कि न्याय पाने में आम आदमी पर कितना आर्थिक दबाव पड़ता है' के जवाब में कहा कि इस तरह का कोई अध्ययन नहीं किया गया है.

कानून मंत्री ने सदन को बताया कि पेडिंग मामलों की समस्या एक बहुआयामी समस्या है जो देश की जनसंख्या में वृद्धि और जनता में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ ही साल दर साल बढ़ रही है.

कानून मंत्री ने अदालतों में पेडिंग मुकदमों के कारण बताते हुए कहा कि अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के कई कारण है और इनमें अन्य बातों के साथ पर्याप्त संख्या में न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारियों की उपलब्धता, सहायक न्यायालय कर्मचारी, भौतिक अवसंरचना, बार-बार स्थगन और मॉनिटर करने की पर्याप्त व्यवस्था में कमी, सुनवाई के लिए ट्रैक और बहु मामले, साक्ष्यों की जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, साक्षियों और वादियों तथा नियमों एवं प्रक्रियाओं के उचित आवेदन सम्मिलित हैं.

कानून मंत्री के अनुसार कोविड-19 महामारी ने भी पिछले तीन वर्षों में लंबित मामलों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

कानून मंत्री ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि आपराधिक न्याय प्रणाली विभिन्न अभिकरणों यानी पुलिस, फोरेंसिक प्रयोगशाला, हस्तलेख विशेषज्ञ और विधिक चिकित्सा विशेषज्ञ की सहायता से कार्य करती है. उन्होंने कहा कि संबद्ध अभिकरणों द्वारा आपसी सहायता प्रदान करने में देरी से भी मामलों के निपटान में विलंब होता है.