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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के संयुक्त संसदीय कमेटी में होंगे 31 सांसद, जानें लोकसभा से किसने अपना नाम आगे किया

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के संयुक्त संसदीय कमेटी में होंगे 31 सांसद

वक्फ संशोधन अधिनियम 2023 पर आम सहमति बनाने को लेकर स्पीकर ओम बिरला ने ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की स्वीकृति दी  है जिसके बाद  लोकसभा के 21 सदस्यों ने इस कमेटी में शामिल होने की इच्छा जताई है. वहीं राज्यसभा के सदस्यों की सूची अब तक इस मामले में सामने नहीं आई है.

Written by Satyam Kumar |Published : August 9, 2024 5:52 PM IST

Waqf Amendment Bill 2024: संसदीय संयुक्त कमेटी (Joint Parliamentary Committee) में  लोकसभा से शामिल होनेवाले लोगों की सूची सामने आ गई है. वहीं, राज्यसभा से 10 लोगों की सूची आने में अभी देरी है. ये हलचल अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू की मांग व स्पीकर की सहमति के बाद आई है. पिछले दिन संसद सत्र में किरेन रिजिजू ने विपक्ष के विरोध के बाद ये फैसला सुनाया है. हालांकि स्पीकर ओम बिरला की सहमति मिलने के बाद ज्वाइंट पार्लियामेंट्री बनने के पहल पर सहमति सामने आ गई है. लोकसभा के 21 सदस्यों ने इस कमेटी में शामिल होने की इच्छा जताई. वहीं राज्यसभा के सदस्यों की सूची अब तक इस मामले में सामने नहीं आई है, कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही राज्यसभा से ऐसी सूची सामने आएगी.

लोकसभा के 21 सांसद संयुक्त संसदीय कमेटी के होंगे सदस्य

  1. निशिकांत दुबे
  2. असदुद्दीन ओवैसी
  3. अभिजीत गंगोपाध्याय
  4. तेजस्वी सूर्या
  5. जगदंबिका पाल
  6. संजय जयसवाल
  7. दिलीप सैकिया
  8. अपराजिता सारंगी
  9. डीके अरुणा
  10. गौरव गोगोई
  11. इमरान मसूद
  12. मोहम्मद जावेद
  13. मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी
  14. कल्याण बनर्जी
  15. ए राजा
  16. लावु श्री कृष्ण देवरायलू
  17. दिलेश्वर कामैत
  18. अरविंद सावंत
  19. सुरेश गोपीनाथ
  20. नरेश गणपत म्हस्के
  21. अरुण भारती

लोकसभा से इन सदस्यों के नाम सामने आए है, जो संयुक्त संसदीय कमेटी का हिस्सा होंगे.

विपक्ष का दावा क्या-क्यों कर रही विरोध?

विपक्ष लगातार वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रही है. विपक्ष का दावा है कि संशोधन संविधान की आर्टिकल 30 का उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थाएं चलाने व उसका प्रशासन करने की शक्ति देती है. विपक्ष ने दावा किया कि ये विधेयक संविधान के आर्टिकल 30 उल्लंघन करती है, जिससे माइनोरिटी के अधिकारों को संरक्षित करने के अधिकारों को चुनौती दिया जा रहा है.

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