नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने शुक्रवार को एक केंद्र, राज्य और सभी केंद्र शासित प्रदेशों को एक नई एड्वाइजरी जारी की है। बता दें कि आयोग ने जेल में होने वाली आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है और अपनी एड्वाइजरी में यह स्पष्ट किया है कि इसपर तुरंत ध्यान दिया जाए।
जैसा कि हमने आपको अभी बताया, एनएचआरसी (NHRC) के अध्यक्ष, न्यायाधीश अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एड्वाइजरी जारी की है जिसके तहत जेल में होने वाली आत्महत्याओं पर आतोंग ने चिंता जताई है। जेल में होने वाले सुसाइड अटेम्प्ट्स को कम करने हेतु यह एड्वाइजरी जारी की गई है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यह अवलोकन किया है कि जेलों में कैदियों की अप्राकृतिक मृत्यु आमतौर पर आत्महत्या से ही हो रही है और इस संख्या को कम करने के लिए जरूरी है कि सभी कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए। इसके लिए कैदी अपने परिजनों से मिले और फोन पर बात करे, इस प्रैक्टिस को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
आयोग का यह भी कहना है कि आमतौर पर कैदी अपने बैरकों और शौचालयों में ही सुसाइड करते हैं इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि यहां से उन चीजों को हटाया जाए जिनसे आत्महत्या की जा सकती है, जैसे पंखों के हुक, लोहे की छड़ें, ग्रिल्स, आदि।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आयोग ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि उनकी भेजी गई एड्वाइजरी पर वो तत्काल प्रभाव से काम करें, आयोग की सिफारिशों पर ध्यान दें और तीन महीने के अंदर एक 'एक्शन टेकन रिपोर्ट' सबमिट करें।
आयोग की सिफारिशों में कुछ और पॉइंट्स भी शामिल हैं; उनका कहना है कि बाथरूम आदि की सफाई करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले एसिड, फेनाइल आदि को कैदियों की पहुंच से दूर रखा जाना चाहिए और यदि कन्स्ट्रक्शन हो रहा है तो रस्सी, कांच, सीढ़ी और पाइप जैसे सामानों को भी ऐसी जगाह रखना चाहिए कि उनका इस्तेमाल सुसाइड के लिए न किया जा सके।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सीसीटीवी कैमरों के इंस्टॉलेशन, मेंटल हेल्थ स्क्रीनिंग और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कैदियों में जागरूकता की भी बात की है। किसी कैदी को अगर किसी चीज की लत या नशा है, तो उसपर ध्यान दिया जाए और साथ ही योगा, ड्रामा, म्यूजिक आदि लाइफ-स्किल्स की ओर कैदियों का प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।