रांची: झारखंड के साहिबगंज जिले में पत्थरों के खनन से पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का अहम फैसला आया है जिसके तहत 203 पत्थर कारोबारियों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही, एनजीटी ने 38 पत्थर कारोबारियों का सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) लाइसेंस रद्द कर दिया है.
न्यूज़ एजेंसी IANS के अनुसार, एनजीटी की नई दिल्ली स्थित प्रधान बेंच ने यह निर्णय सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इन कारोबारियों ने पत्थर खदानों के संचालन में एनजीटी के नियमों का उल्लंघन किया है.
जुर्माना और सीटीओ रद्द होने से पत्थर कारोबारियों में हड़कंप मच गया है. राहत पाने के लिए किसी कारोबारी ने हाईकोर्ट तो किसी ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी.
गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर ने यह याचिका राजमहल की ऐतिहासिक पहाड़ियों को बचाने के लिए दायर की है.
आपको बता दे की इसी याचिका के आधार पर एनजीटी ने पत्थर कारोबारियों पर 36 लाख से लेकर एक करोड़ तक का जुर्माना भी लगाया है.
खबरों के अनुसार, पत्थर के अवैध उत्खनन से राजमहल पर्वत श्रृंखला के 12 पहाड़ अब तक गायब हो चुके हैं. साथ ही, अवैध खनन से यहां के पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
झारखंड के चार जिलों - दुमका, गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज तक फैली 10 करोड़ वर्ष पुरानी राजमहल पर्वत श्रंखला की पहाड़ियां हिमालय से भी पांच करोड़ साल पुरानी बताई जाती हैं.