National Green Tribuanl Issues Notices To Government: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में सड़क के किनारे बड़े पैमाने पर, अत्यधिक और अंधाधुंध कंक्रीटीकरण और पार्कों में निर्माण का आरोप लगाने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है. एनजीटी के समक्ष दायर याचिका में ये दावा किया गया कि सड़क किनारे अंधाधुंध तरीके से पार्क लगाने और कंक्रीट बिछाने से जैव विविधता पर भारी छति पहुंची है. एनजीटी ने सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण में अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए), गाजियाबाद नगर निगम और अन्य से जवाब मांगा है.
वकील आकाश वशिष्ठ द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि अंधाधुंध कंक्रीटीकरण और फुटपाथ जल-जमाव, शहरी बाढ़, प्राकृतिक जल पुनर्भरण की रोकथाम, गर्मी के गुणन और शहरों और कस्बों में जैव विविधता के नुकसान का सबसे बड़ा कारण बन गया है. याचिका में आगे कहा गया है कि सड़क के किनारे और सड़क के बरमों पर अंधाधुंध कंक्रीटीकरण/फुटपाथ बनाना तथा पार्कों के अंदर निर्माण करना एनजीटी के विभिन्न आदेशों, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों तथा यूपी सरकार द्वारा जारी जीओ का घोर उल्लंघन है. हरित अधिकरण के समक्ष दायर आवेदन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी शहरों और कस्बों में बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण तथा उससे उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय खतरों को देखते हुए पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं. आवेदक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत किया कि नरम खुले क्षेत्रों, सड़क के किनारे, सड़क के बरमों तथा पार्कों के अंदर निर्माणों पर कंक्रीटीकरण तथा पूर्ण रूप से पक्का करने का खतरा सभी शहरों और कस्बों के लिए खतरा बन गया है.
इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.