पर्यावरण नियमों (Environmental Rules) के उल्लंघन के आरोप लगने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने एक कंपनी पर 25 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया. एनजीटी ने जुर्माना तय करने में कंपनी के 100 से 500 करोड़ रूपये के राजस्व को आधार बनाया. कंपनी एनजीटी (NGT) के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के फैसले से नाराजगी जताई. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा...
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कंपनी की अपील पर सुनवाई की. पीठ ने एनजीटी की जुर्माने निर्धारित करने की प्रक्रिया में तीन मुख्य कमियों को उजागर किया. पहली कमी: 100 करोड़ और 500 करोड़ के बीच बड़ा अंतर है. दूसरी कमी, एनजीटी ने जुर्माना तय करने के लिए सार्वजनिक डोमेन से जानकारी ली, लेकिन कोई सटीक आंकड़ा नहीं मिला. तीसरी कमी कंपनी की राजस्व राशि को दंड निर्धारित करने के लिए प्रासंगिक नहीं माना गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"राजस्व का पर्यावरणीय क्षति के लिए निर्धारित दंड की राशि से कोई संबंध नहीं है. एनजीटी द्वारा दंड लगाने की प्रक्रिया कानूनी सिद्धांतों से पूरी तरह अज्ञात है."
सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणियों के साथ एनजीटी के फैसले को खारिज कर दिया है.