नई दिल्ली: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission) ने हाल ही में एक मामले में दिल्ली के एक अस्पताल पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया है। बता दें कि मामला कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) के एक केस में स्पर्म सैंपल की अदला-बदली का था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनसीडीआरसी (NCDRC) ने हाल ही में पश्चिम दिल्ली के एक अस्पताल पर, स्पर्म सैंपल की अदला-बदली के मामले में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है।
एनसीडीआरसी के ऑर्डर के हिसाब से अस्पताल के अध्यक्ष और निदेशक को एक करोड़ रुपये देने थे, केस में शामिल दोनों डॉक्टरस को दस-दस लाख रुपये देने थे और अस्पताल को एनसीडीआरसी के कन्सूमर लीगल एड अकाउंट में बीस लाख रुपये जमा करने थे।
एनसीडीआरसी ने कहा है कि 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा एक राष्ट्रीयकृत बैंक में, दोनों बच्चियों के नाम पर बराबर हिस्सों में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में रखा जाएगा जब तक बच्चियां अट्ठारह साल की नहीं हो जाती। कमिशन का यह भी कहना है कि बच्चों के माता-पिता नॉमिनी होंगे और वो बच्चों की देखभाल के लिए पीरियॉडिक इंटरेस्ट निकाल सकते हैं।
एनसीडीआरसी पीठासीन सदस्य डॉ एसएम कांतिकर ने अपने ऑर्डर पर इस बात को लेकर भी चिंता जताई है कि देश में असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेकनॉलोजी (ART) क्लिनिक्स अपने सक्सेस रेट को बढ़ाने के चक्कर में बहुत हड़बड़ाहट से काम कर रहे हैं जबकि यह काम उन्हें बहुत सोच-समझकर करना चाहिए।
साधारण स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिन्हें इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है, वो भी पैसों के चक्कर में इस तरह के क्लिनिक खोल रहे हैं जिससे गलत ट्रीटमेंट की घटनाएं भी बहुत बढ़ गई हैं।
बता दें कि एनसीडीआरसी के पास एक मामला आया था जिसमें लगभग 15 साल बाद एक कपल को यह पता चला कि उनके जुड़वा बच्चे जिस सीमन सैंपल से कन्सीव हुए थे, वो महिला के पति का नहीं था। कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया के दौरान अस्पताल की गलती से सैंपल बदल गया था जिसकी शिकायत कपल ने दर्ज की।
2008 में एक कपल 'Intra-Cytoplasmic Sperm injection' (ICSI) लगवाने के लिए दिल्ली के भाटिया ग्लोबल हॉस्पिटल एंड एंडोसर्जरी इंस्टिट्यूट में गया था जिसके बाद 2009 में महिला ने जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया।
एक बच्ची की विचित्र ब्लड ग्रुप की वजह से उनके मन में यह शक आया कि बच्ची किसकी है और इसलिए उन्होंने एक पटर्निटी टेस्ट करवाया। इस टेस्ट में पता चला कि बच्ची के बायोलॉजिकल फादर कोई और हैं।