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MUDA Scam में कर्नाटक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कर्नाटक हाईकोर्ट से राहत, कहा-ट्रायल कोर्ट कोई आदेश पारित न करें, हम करेंगे सुनवाई

कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया

कर्नाटक के मुख्यमंत्री Siddharamiah ने सोमवार को Karnataka High Court में एक रिट याचिका दायर कर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले Governor थावरचंद गहलोत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले पर संज्ञान लेने से मना किया है.

Written by Satyam Kumar |Updated : August 19, 2024 5:10 PM IST

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले पर संज्ञान लेने से मना किया है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के मामले की सुनवाई वे खुद करेंगे.राज्यपाल थावरतचंद गहलोत ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया पर लगे एमयूडीए स्कैम के आरोप पर 16 अगस्त को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, कर्नाटक सीएम ने राज्यपाल के इसी फैसले को चुनौती दी है.

कर्नाटक हाईकोर्ट से सीएम सिद्धारमैया को राहत, अगली सुनवाई तक लगाई रोक

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ स्पेशल कोर्ट को सुनवाई करने पर रोक लगाई है.  हाईकोर्ट ने कहा कि कर्नाटक सरकार की रिट याचिका पर अगली सुनवाई तक स्पेशल कोर्ट कोई कार्य ना करें. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए और बीएनएसएस की धारा 218 के तहत एक मुकदमा लंबित है.

सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर की रिट याचिका, मुकदमा चलाने के राज्यपाल की मंजूरी को दी चुनौती

सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाईकोर्ट से कहा कि कि राज्यपाल का आदेश कानूनी रूप से अस्थिर, प्रक्रियात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण और बाहरी विचारों से प्रेरित है, और इसलिए याचिकाकर्ता (सीएम सिद्धारमैया) ने अन्य राहतों के साथ-साथ 16 अगस्त, 2024 के विवादित आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे, वैधानिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया है, जिसमें मंत्रिपरिषद की सलाह भी शामिल है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है.

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मैं 40 सालों से राजनीतिक जीवन में हूं, कुछ भी गलत नहीं किया: सिद्धारमैया

कर्नाटक सीएम ने अपने ऊपर लगे आदेशों का खंडन करते हुए कहा कि अपने लंबे राजनीतिक करियर में कभी कुछ गलत नहीं किया हूं.

सीएम सिद्धारमैया ने कहा,

"मेरी अंतरात्मा साफ है, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मैं 40 साल से मंत्री हूं और इस दौरान मेरे राजनीतिक जीवन में एक भी दाग ​​नहीं लगा है. मैं लोगों के आशीर्वाद से उनकी सेवा में लगा हूं. मेरा राजनीतिक जीवन खुली किताब की तरह है.राज्य की जनता भी जानती है कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. मुझे कोर्ट से राहत मिलने का पूरा भरोसा है. भाजपा, जेडीएस और केंद्र सरकार ने राजभवन का इस्तेमाल कर मेरे खिलाफ साजिश रची है. उन्होंने मुझे बदनाम करने के लिए इस तरह की हरकत की है."

इससे पहले आज सिद्धारमैया ने विपक्ष के नेता (LoP) आर अशोक की आलोचना की, जिन्होंने मौजूदा स्थिति की तुलना पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के 2011 में इस्तीफे से की थी. सिद्धारमैया ने अशोक पर आरोप लगाया कि उन्होंने येदियुरप्पा के इस्तीफे का हवाला देकर "अज्ञानता का प्रदर्शन" किया है, जो अवैध खनन पर जांच की रिपोर्ट के बाद हुआ था, न कि केवल अभियोजन के लिए राज्यपाल की मंजूरी के बाद.

सोमवार को सीएम सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा जारी आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया. सीएम सिद्धारमैया ने अभियोजन (जांच एजेंसी) को दी गई अनुमति को रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक रिट याचिका दायर की. सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा सिद्धारमैया और नौ अन्य के खिलाफ मुआवजा लेने के लिए कथित रूप से जाली दस्तावेज बनाने की शिकायत दर्ज कराने के बाद MUDA घोटाला सामने आया.