कर्नाटक उच्च न्यायालय ने MUDA साइट आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बीएम और शहरी विकास मंत्री बीएस सुरेश को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया है. जस्टिस एन नागप्रसन्ना ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती और मंत्री बीएस सुरेश द्वारा ED की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया. ED ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया और अन्य आरोपी MUDA साइट आवंटन मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के प्रयास में शामिल थे, जबकि लोकायुक्त पुलिस ने पिछले महीने उन्हें क्लीन चिट दी है.
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने 27 जनवरी को समन पर रोक लगा दी थी. पार्वती के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता संदीश चौटा ने तर्क किया कि ईडी एक समानांतर जांच कर रही है, जबकि इस मामले की पहले से ही लोकायुक्त पुलिस और विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच की जा रही है. वहीं, इस मामले में शहरी विकास मंत्री सुरेश का नाम आरोपी के रूप में नहीं था, फिर भी उन्हें ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया था. मंत्री सुरेश के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सीवी नगेश ने कहा कि उनके मुवक्किल को आरोपी नहीं माना जाना चाहिए और इसलिए उन्हें समन नहीं किया जाना चाहिए.
हालांकि, भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अरविंद कामत, जो ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने कहा कि पार्वती दूसरे आरोपी हैं और उन्हें अपराध की आय प्राप्त हुई है. कामत ने यह भी कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी को उन व्यक्तियों को समन करने का अधिकार है, जिनका नाम आरोपी के रूप में नहीं है.
MUDA Scam मामले में सिद्धारमैया पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती को 14 साइटों का अवैध आवंटन किया. सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले बी एम मल्लीकर्जुन स्वामी, और अन्य को लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर 2024 को दर्ज की गई प्राथमिकी में नामित किया गया है. यह प्राथमिकी विशेष अदालत (MP-MLA Court) के आदेश पर दर्ज की गई थी, जो पूर्व और निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों को देखती है. 30 सितंबर को, ईडी ने एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की, जिसमें मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ लोकायुक्त की प्राथमिकी का संज्ञान लिया गया. हालांकि, लोकायुक्त पुलिस ने पिछले महीने सिद्धारमैया, पार्वती और अन्य दो आरोपियों को मामले में क्लीन चिट देते हुए कहा था कि पहले चार आरोपियों के खिलाफ आरोपों को सबूतों की कमी के कारण साबित नहीं किया गया.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत एक अस्थायी अटैचमेंट आदेश में आरोप लगाया कि सिद्धारमैया और अन्य आरोपी मुदा साइट आवंटन मामले में धन शोधन के प्रयास में शामिल थे. एजेंसी ने कहा कि पार्वती को अवैध रूप से 14 साइटें आवंटित की गई थीं, जिनकी कीमत लगभग 56 करोड़ रुपये थी.
मुदा साइट आवंटन मामले में ED ने दावा किया है कि पार्वती को एक उच्च मूल्य वाले क्षेत्र (विजयनगर लेआउट 3 और 4) में 14 मुआवजा साइटें आवंटित की गई थी, जबकि पार्वती के पास इस 3.16 एकड़ भूमि पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था, जिसे मुदा ने अधिग्रहित किया था.
एमयूडीए ने 50:50 अनुपात योजना के तहत पार्वती को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत आवंटित किया था, जिसे उन्होंने अपनी भूमि के बदले में प्राप्त किया था. मुदा साइट आवंटन योजना उन भूमि धारकों को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत आवंटित करने का प्रावधान करती है, जिनकी अविकसित भूमि आवासीय लेआउट बनाने के लिए अधिग्रहित की गई थी.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)