कोलकाता: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य की विभिन्न नगर पालिकाओं में करोड़ों रुपये के कथित भर्ती घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच के आदेश को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ में मंगलवार को चुनौती दी है.
याचिका को खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया गया है और इस सप्ताह जस्टिस अरिजीत बनर्जी और अपूर्वा सिन्हा रॉय की खंडपीठ में सुनवाई के लिए मामला आने की उम्मीद है. इसके पहले सीबीआई जांच का आदेश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल जज बेंच ने दिया था.
आपको बता दे की राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया.
राज्य सरकार ने इसके बाद इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश को रद्द करने की याचिका के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल बेंच का दरवाजा खटखटाया.
न्यायमूर्ति सिन्हा ने 12 मई को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ द्वारा जांच के आदेश को बरकरार रखा. अब राज्य सरकार ने इस मामले में जस्टिस सिन्हा के ताजा फैसले के खिलाफ खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया है. राज्य सरकार का तर्क है कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय का आदेश उचित नहीं था, क्योंकि नगरपालिकाओं से संबंधित मामले उनके न्यायालय के विषय नहीं थे.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि चूंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए पश्चिम बंगाल पुलिस के पास मामले की जांच करने का अधिकार होना चाहिए. साथ ही, राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि इस मामले में पुलिस को गुंजाइश नहीं दी गई है.
हालांकि, इसके विरोध में कहा गया कि चूंकि पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों और नगर पालिकाओं में भर्ती घोटाले संबंधित हैं, इसलिए मामले की सीबीआई जांच आवश्यक है.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सरकारी स्कूलों में कथित भर्ती घोटाले में एजेंसी की जांच के संबंध में निजी रियल एस्टेट प्रमोटर अयान सिल के आवास पर छापा था और तलाशी अभियान चलाते हुए नगरपालिका भर्ती घोटाले का खुलासा किया था.