सवाल: क्या अल्पसंख्यक संस्थानों (Minority Institutions) में शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास होना अनिवार्य है? इस सवाल का जबाव मद्रास हाई कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि टीचर बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना सभी शैक्षिक संस्थानों, जिसमें अल्पसंख्यक संस्थान भी शामिल हैं, के लिए अनिवार्य है. अदालत ने यह भी बताया कि सरकार को शिक्षकों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है और सरकार ने इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए TET योग्यता निर्धारित की है. अदालत के फैसले के अनुसार, यदि किसी शिक्षक के पास TET योग्यता नहीं है तो उसकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी जा सकती. इस मामले में, जिस शिक्षक ने TET परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी, उसकी पदोन्नति को अदालत ने रद्द कर दिया.
मद्रास हाई कोर्ट ने पाया कि अल्पसंख्यक संस्थानों में टीईटी योग्यता को छोड़ देने से गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों और अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों के बीच भेदभाव होगा, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानत का अधिकार) का उल्लंघन होगा. इसलिए, अदालत ने सभी संस्थानों के लिए टीईटी को अनिवार्य मानते हुए फैसला दिया है. इस फैसले में मद्रास हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि RTE अधिनियम के कुछ अनुच्छेद अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होते, लेकिन अधिनियम के अन्य प्रावधान, खासकर शिक्षकों की योग्यता से संबंधित धारा 23, सभी संस्थानों पर लागू होती है। न्यायालय ने तर्क दिया कि टीईटी योग्यता को अल्पसंख्यक संस्थानों में छूट देना TMA Pai Foundation मामले में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध होगा, जिसमें राज्य को शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है.
बैशिरी को अल अमीन उर्दू तमिल मुस्लिम हाई स्कूल में सेकंडरी ग्रेड शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, जो एक निजी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूल है. 2022 में, बैशिरी को BT सहायक (तमिल) के रूप में पदोन्नत किया गया, लेकिन 2023 में वे रिटायर हो गए. स्कूल प्रबंधन ने उनकी पदोन्नति के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्ताव भेजा, लेकिन यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि उनके पास TET योग्यता नहीं थी. याचिकाकर्ता ने तर्क किया कि कई निर्णय हैं जो यह कहते हैं कि TET अल्पसंख्यक संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं है. उनका तर्क था कि चूंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) खुद अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होता, इसलिए RTE अधिनियम के तहत निर्धारित TET भी लागू नहीं होता. हालांकि, न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया. अदालत ने कहा कि RTE अधिनियम की अन्य धाराएं सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए भी लागू होती हैं.