यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे, किसी नेता की रैली में छात्रों के शामिल होने पर स्कूल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता हैं, वह भी देश के प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने पर! आमतौर पर जब भी, हमारे आस-पास किसी बड़े नेता की रैली होती है, तो दूर-दराज गांवों के लोग, अपने परिवार के साथ रैली को देखने आते हैं, भारतीय लोकतंत्र की यह भी एक खूबसूरती है. लेकिन मद्रास के कोयम्बटूर शहर में कुछ अलग ही वाक्या हुआ....
18 मार्च, 2024 को कोयम्बटूर शहर में पीएम मोदी का रोड-शो होना था. इस रोड-शो में 32 छात्र अपने स्कूल यूनिफार्म में ही पीएम मोदी को देखने गए. बच्चे स्कूल यूनिफार्म में रैली देखने गए थे, इसलिए स्थानीय पुलिस ने स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज किया है. जब ये मामला मद्रास हाईकोर्ट के सामने पहुंचा, तो उच्च न्यायालय ने पुलिस प्रशासन से जबाव की मांग की है. अगले आदेश तक स्कूल प्रशासन के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने से पुलिस को रोक लगाया है.
32 स्कूल द्वारा छात्रों को पीएम मोदी की रैली में ले जाने पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी पवित्रा देवी ने कोयम्बटूर सिटी पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के सेक्शन 75 के उल्लंघन की बात कहीं हैं. जुवेनाइल जस्टिस के सेक्शन के अनुसार, स्कूल ने बच्चों को पीएम की रैली में ले जाकर शारीरिक एवं मानसिक रूप से कष्ट दिया है. शिकायत में कहा गया, बच्चों को अनावश्क रूप से भीड़भाड़ वाली जगह पर ले जाया गया है, जिससे उन्हें बेवजह कष्ट झेलना पड़ा है.
स्कूल की हेडमिस्ट्रेस ने शिकायत को झूठा बताते हुए इस FIR को रद्द करने की मांग की है. प्रधानाध्यापिका ने कहा है कि ऐसी कोई भी बात नहीं हुई है जिससे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के सेक्शन 75 का उल्लंघन हो, स्कूल बच्चों को रैली में ले जाने के दौरान हर संभव सावधानी बरती है.
जस्टिस जयचंद्रन की बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने कहा. बच्चों के माता-पिता ने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है, रोड- शो में जाने के दौरान बच्चों के साथ किसी प्रकार की घटना नहीं हुई! क्या जिला बाल संरक्षण अधिकारी के शिकायत के आधार पर इस मुकदमे को दर्ज किया जा सकता है! अदालत ने पुलिस से जबाव की मांग की है.
वहीं, अदालत ने बच्चों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल करने के विषय पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट अगले सोमवार को इस विषय पर विचार करेगी. फिलहाल के लिए, उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रशासन को अंतरिम राहत दी है. पुलिस को स्कूल प्रशासन के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाया है.