लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी निलंबित आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, सोमवार को परिवादी नीतीश पांडेय की ओर से अधिवक्ता मनीष कुमार त्रिपाठी कोर्ट में पेश हुए और जमानत अर्जी का विरोध किया. सरकारी अधिवक्ता ने भी आरोपी निलंबित आईपीएस अधिकारी की याचिका का विरोध किया था.
गौरतलब हो कि निलंबित आईपीएस पाटीदार सितंबर 2020 में महोबा जिले के पुलिस अधीक्षक थे, जब पत्थर की खदान के मालिक इंद्रकांत त्रिपाठी ने आत्महत्या कर ली थी.
पीपी पांडे इंफ्रास्ट्रक्चर के निदेशक रहे नीतीश पांडे ने अपनी पुलिस शिकायत में मणिलाल पाटीदार पर बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य के लिए कंकड़ की आपूर्ति करने की अपनी व्यावसायिक गतिविधि को अंजाम देने के लिए त्रिपाठी से रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था.
7 सितंबर, 2020 को ऑनलाइन सामने आए एक वीडियो में, त्रिपाठी ने दावा किया कि पाटीदार उन्हें अपना व्यवसाय चलाने के लिए हर महीने 5 लाख रुपये देने के लिए मजबूर कर रहे थे.
दो दिन बाद, त्रिपाठी ने कथित तौर पर खुद को गोली मार ली और 14 सितंबर को कानपुर के एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई.
आरोपी आईपीएस अधिकारी पाटीदार को 9 सितंबर, 2020 को निलंबित कर दिया गया था और उनके खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी, इसके बाद से वह फरार हो गए थे.
उल्लेखनीय है कि राज्य के सतर्कता विभाग ने पाटीदार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया है.
दो साल तक फरार रहने के बाद पाटीदार ने 15 अक्टूबर, 2022 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को मई 2022 में एक पत्र लिखकर पाटीदार को भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश भी की है.