नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट से विदाई लेते हुए जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने वकीलों को सलाह दिया कि वह अपने मामलों पर योग्यता के आधार पर बहस करें और किसी भी न्यायाधीश के सामने कभी भीख न मांगें. न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस दिनेश कुमार सिंह का केरल हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया है.
उन्हें विदाई देने के लिए यूपी महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस समारोह में जस्टिस सिंह ने युवा वकीलों से निवेदन किया कि उन्हे भौतिकवाद या अन्य वकीलों की आय जैसे विषयों के बारे में सोच कर परेशान नहीं होना चाहिए. इसके जगह उन्हें अपने केस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और लिए गए केस को पूरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से निपटाने की कोशिश करनी चाहिए.
जस्टिस सिंह की माने तो वकील होना एक बड़ी बात है. "दुकाने चलती रहती हैं बंद होती रहती हैं. अगर कोई बहुत बड़ी कार खरीदता है तो चिंता न करें... इसके साथ ही उन्होंने अपने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के दिनों को याद करते हुए कहा कि उस वक्त वकील कारों में आते थें. मैंने कभी नहीं देखा कि कौन किस कार में आता था... इन बाहरी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता."
उन्होंने कहा "यह एक ऐसा पेशा है जिसमें अगर आप अपने काम में सक्षम हैं और अपने काम के प्रति ईमानदार हैं तो आप एक बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं."
एजेंसी की माने तो सभा को संबोधित करते हुए जस्टिस सिंह ने कहा कि यह उनके लिए एक भावनात्मक पल था, हालांकि, उन्होंने कहा कि वह वकीलों की बिरादरी से भले ही दूर जा रहे हैं लेकिन वह उनके लिए हमेशा 'सिर्फ एक कॉल की दूरी' पर रहेंगे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के ऊपर बात करते हुए उन्होने इस बात पर जोर दिया कि उनकी हमेशा कोशिश रही कि वह न्याय बिना किसी डर, गलती और बिना पक्षपाती हुए साहस के साथ करें. उनका मानना है कि बिना साहस के गुंडागर्दी को रोका नहीं जा सकता है. एक साहसी व्यक्ति ही गुंडागर्दी पर रोक लगा सकता है.
कोर्ट की भाषा पर बात करते हुए जस्टिस सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट में अंग्रेजी भाषा कई वकीलों के लिए बाधा बनने लगती है. ऐसे में जज तक अपनी बात पहुंचाने के लिए भाषा सिर्फ एक माध्यम है और अगर वकील ठीक से पढ़ेंगे तो वे अंग्रेजी भाषा पर पकड़ बना सकते हैं.
जानकारी के मुताबिक केरल हाईकोर्ट में हुए अपने स्थानांतरण पर बात करते हुए कहा कि उन्हे अपने पूर्वजों का प्रतिनिधित्व सौंपा गया है. वह भगवान राम के वंशज हैं. उनके पास जो कुछ भी है वह उसके लिए आभारी हैं. कुछ दिन पहले उन्हे पवित्र पुस्तक गीता मिली. वो मानते हैं कि यह ईश्वर की इच्छा है कि वह खुद गीता और रामायण जैसी धार्मिक पुस्तकें प्राप्त करूं. गीता इतनी पवित्र पवित्र पुस्तक है कि इसे बहुत सम्मान दिया जाता है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि जस्टिस डीके सिंह ने 1997 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में और उसके बाद 1998 से 22 सितंबर, 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति की तारीख तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की.
उन्होंने 6 सितंबर, 2019 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद जस्टिस सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्थानांतरित कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने 15 जुलाई को उनके तबादले की अधिसूचना जारी की थी.