केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने व्हाट्सएप इंडिया ( WhatsApp India) के प्रतिनिधि को अदालत में पेश होने के फैसले पर रोक लगाया है. यह आदेश तिरुवनंतपुरम कोर्ट ने दिया था. मजिस्ट्रेट ने अपमानजनक पोस्ट शेयर करने वाले First Sender की जानकारी WhatsApp India के प्रतिनिधि से मांगी थी जिसके चलते उन्हें 07 फरवरी के दिन कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था.
एक महिला ने अपनी राजनैतिक छवि धूमिल करने की शिकायत दर्ज कराई. शिकायतकर्ता ने बताया कि ये काम WhatsApp के मैसेज के सहारे किया गया है. पुलिस ने अपमानजनक मैसेज फैलाने के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 354 ए (1) (4), धारा 67 आईटी अधिनियम,केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 (O) के तहत प्राथमिकी दर्ज की.
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस (Bechu Kurian Thomas) मामले को सुना. कोर्ट ने प्रतिवादियों (केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जांच अधिकारी) को अपने जवाब हलफनामे (Affidavit) दाखिल करने को कहा है. साथ ही, मजिस्ट्रेट (Magistrate) ने WhatsApp से मैसेज के First Sender की पूरी जानकारी मांगी थी जिसने शिकायतकर्ता के खिलाफ अपमानजनक मैसेज किया था.
मजिस्ट्रेट के आदेश को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. चुनौती याचिका में कहा गया कि यह आदेश सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के नियम 4 (2) के नियमों के अनुरूप नहीं है.
आईटी एक्ट के नियम 4 (2): एक Social Media Intermediary न्यायिक आदेश पर मैसेजकर्ता की पहचान तभी देगा, जब वह मामला देश की सुरक्षा, मैत्री देशों के बीच संबंध बिगाड़ने तथा अन्य गंभीर मामलों में भ्रामक मैसेज फैलाने के मामले में दे सकता है. साथ ही मजिस्ट्रेट के पांच साल से कम की सजा के मामले में मैसेजकर्ता की जानकारी देने की मांग नहीं कर सकता है.
इस केस में अगली सुनवाई 02 अप्रैल, 2024 को होगी.