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जीएसटी नोटिस मिलने पर केरल बार काउंसिल ने जताई आपत्ति, पहुंची केरल हाईकोर्ट, जानिए क्या रखी है मांग?

सीबीआईसी से दो बार जीएसटी भरने की नोटिस मिलने के बाद केरल बार काउंसिल (बीसीके) ने जीएसटी भरने के नोटिस के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है.

Written by My Lord Team |Published : April 9, 2024 9:49 AM IST

सीबीआईसी से दो बार जीएसटी भरने की नोटिस मिलने के बाद केरल बार काउंसिल (बीसीके) ने आपत्ति जताई है. जीएसटी भरने के नोटिस के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है. बार काउंसिल ने दावा किया कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत वे वैधानिक संस्था है, उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह ही जीएसटी करों से छूट का लाभ मिलेगा. केरल उच्च न्यायालय ने भी केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क (सीबीआईसी) नोटिस जारी करते हुए किसी कठोर कार्रवाई पर रोक लगाई है. उच्च न्यायालय ने सीबीआईसी को बार काउंसिल से टैक्स वसूलने, पेनल्टी तथा शुल्क पर इंटरेस्ट लगाने पर रोक लगाया है. बता दें कि केरल बार काउंसिल के खिलाफ सीबीआईसी ने अप्रैल, 2022 से सितम्बर, 2023 तक दो नोटिस जारी किया है. 

कोई सख्त कदम नहीं उठाए सीबीआईसी: Kerala HC

केरल उच्च न्यायालय में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल-बेंच के सामने इस मामले को पेश किया गया है. केरल हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई तक सीबीआईसी द्वारा कठोर कार्रवाई पर रोक लगाई हैं. 

सीबीआईसी के दो नोटिस में क्या है?

सीबीआईसी ने केरल बार काउंसिल को अब तक दो नोटिस भेजे हैं. केरल बार काउंसिल से सर्विस टैक्स की मांग की हैं.

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पहला नोटिस:  सीबीआईसी ने अपनी नोटिस में सर्विस टैक्स नहीं भरने के कारण बताने की मांग की हैं. ये नोटिस अप्रैल, 2017 से जून, 2017 तक का था.

दूसरा नोटिस:  दूसरे नोटिस में भी सर्विस टैक्स नहीं भरने के कारण को बताने को कहा है. ये नोटिस जुलाई, 2017 से मार्च, 2022 तक का है. 

केरल बार काउंसिल ने दोनों ही नोटिस को चुनौती दी है.

केरल बार काउंसिल ने याचिका में क्या कहा?

केरल बार काउंसिल ने अपनी याचिका में कहा. वे कोई सर्विस प्रोवाइडर नहीं है. वे अधिवक्ताओं से वैधानिक कर लेते हैं. बार काउंसिल एवं अधिवक्ताओं के बीच कोई सर्विस प्रदानकर्ता- सर्विस प्राप्तकर्ता (Service Provider-Service Recipient) के जैसा संबंध नहीं है. साथ ही अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अनुसार, वे वैधानिक (Statutory) इकाई हैं जिसके अनुरूप उन्हें भी सरकारी संस्थाओं के जैसे छूट मिलनी चाहिए. 

बीसीके ने कहा,

"याचिकाकर्ता कानून द्वारा दिए गए कार्य करता है और इसलिए एक सरकारी प्राधिकारी है,"

केरल बार काउंसिल ने उपरोक्त आधार पर राहत की मांग की है. वहीं, मामले में अगली सुनवाई गर्मियों की छुट्टी खत्म होने के बाद होगी.