कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को POCSO मामले में अंतरिम राहत दी है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी केंद्रीय संसदीय समिति के सदस्य बी.एस. येदियुरप्पा को 15 मार्च के दिन फास्ट ट्रैक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए जारी समन पर रोक लगा दी है. बता दें कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने 2 फरवरी, 2024 के दिन एक 17 वर्षीय लड़की के साथ अनुचित व्यवहार किया. जबकि हाई कोर्ट ने पहले येदियुरप्पा के कोर्ट में उपस्थित होने के लिए छूट दी थी, लेकिन इस मामले पर रोक नहीं लगाने से इंकार किया था.
इससे पहले, 7 फरवरी को, कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में उनके खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया. हालांकि, बेंच ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी. पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ये आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और वह कानूनी कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार हैं.
उपस्थित होने को लेकर जारी समन का विरोध करते हुए सीनियर एडवोकेट सीवी नागेश, जो येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने पहले भी इस मामले में अंतरिम राहत दी थी. उन्होंने कहा कि FIR में IT धारा का उपयोग शिकायतकर्ता पर लागू होगा, न कि येदियुरप्पा पर, क्योंकि उन्होंने पीड़िता की मां के मोबाइल फोन से बातचीत को नहीं हटाया. आरोप पत्र (Charge Sheet) पीड़िता और उसकी मां के बयानों के आधार पर दाखिल किया गया था. हालांकि, घटनास्थल पर मौजूद गवाहों ने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई. वकील ने यह भी बताया कि शिकायत एक महीने बाद पुलिस आयुक्त के पास दर्ज की गई थी.
इन तर्कों के जवाब में महाधिवक्ता (Advocate General) शशिकिरण शेट्टी ने कोर्ट से येदियुरप्पा को कोई राहत नहीं देने का आग्रह किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि पहले के हाई कोर्ट के आदेश ने केवल येदियुरप्पा को कोर्ट में उपस्थित होने से छूट दी थी लेकिन कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई थी. बेंगलुरु की फर्स्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 28 फरवरी को इस मामले में येदियुरप्पा को समन जारी कर 15 मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र (Charge Sheet) पर विचार करने के बाद यह आदेश दिया.
CID ने सौंपी चार्जशीट
अपराध अनुसंधान विभाग (CID) ने इस मामले की जांच करते हुए 27 जून, 2024 को एक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया. आरोप पत्र में सीआईडी ने येदियुरप्पा और तीन अन्य आरोपी POCSO अधिनियम और IPC की धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं. आरोप पत्र में कहा गया है कि 2 फरवरी, 2024 को शिकायतकर्ता येदियुरप्पा के निवास पर अपनी 17 वर्षीय बेटी के साथ यौन हमले की मदद मांगने गई थी. आरोप है कि येदियुरप्पा ने लड़की को एक कमरे में ले जाकर उसे बंद कर दिया और यौन उत्पीड़न किया. आरोप पत्र में यह भी कहा गया है कि जब पीड़िता ने घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए, तो येदियुरप्पा ने उन्हें अपने निवास पर बुलाकर 2 लाख रुपये की नकद राशि दी. इसके बाद उन्होंने मीडिया फ़ाइलों को सोशल मीडिया और फोन गैलरी से हटाने का प्रयास किया.
हालांकि, येदियुरप्पा ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा, "एक मां और बेटी मेरे निवास के पास अचेत स्थिति में मिलीं. मैंने उनके हालात पूछने के लिए उन्हें बुलाया. मैंने बेंगलुरु पुलिस आयुक्त को भी मदद के लिए बुलायाय हालांकि, उन्होंने मेरे खिलाफ आरोप लगाना शुरू कर दिया. इसके बावजूद, मैंने उन्हें वित्तीय मदद दी। मैं इन आरोपों का सामना करूंगा."
फर्स्ट फास्ट ट्रैक में जांच एजेंसी CID ने चार्जशीट दाखिल कर दिया है. अब इस दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ जारी समन पर रोक लगा दिया है.