जस्टिस अभय एस. ओका ने दिवंगत अधिवक्ता के.के. लूथरा के सम्मान में आयोजित मूट कोर्ट प्रतियोगिता के समापन के दौरान विधि छात्रों को न्यायालय अभ्यास के महत्व पर सलाह दी. इस कार्यक्रम में तंजावुर के शास्त्र विश्वविद्यालय ने जीत दर्ज की, जबकि गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दूसरे स्थान पर रहा. जस्टिस ओका ने न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी और किफायती कानूनी शिक्षा में कैंपस लॉ सेंटर के योगदान की प्रशंसा की.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस ओका ने हाल ही में विधि छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अदालती सुनवाई के अभ्यास को कम करके नहीं आंकना चाहिए. मूट कोर्ट को उन्होंने विधि छात्रों के कानूनी करियर का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बताया. एक बयान के अनुसार, न्यायमूर्ति ओका दिवंगत वरिष्ठ अधिवक्ता केके लूथरा के सम्मान में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर द्वारा आयोजित ‘मूट कोर्ट’ प्रतियोगिता के समापन पर बोल रहे थे. पुलिस व्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों के उपयोग की वैधता के विषय पर आयोजित केके लूथरा मेमोरियल मूट कोर्ट प्रतियोगिता के 21वीं वर्षगांठ संस्करण में शास्त्र (मानद विश्वविद्यालय), तंजावुर ने जीत हासिल की, जबकि गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय प्रथम उपविजेता टीम के रूप में उभरा.
प्रतियोगिता में जस्टिस ओका मुख्य अतिथि थे, जबकि दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अमित बंसल, जस्टिस मिनी पुष्करना और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर सम्मानित अतिथि थे. विश्वविद्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जस्टिस ओका ने अपने भाषण में मुकदमेबाजी और न्यायपालिका में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की तथा किफायती कानूनी शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ-साथ न्यायिक प्रणाली में योगदान देने के लिए कैम्पस लॉ सेंटर की प्रशंसा की. बयान के अनुसार, प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भारत और विदेश के 127 संस्थानों ने आवेदन किया और इसके लिए 72 टीमों का चयन किया गया.
(खबर भाषा इनपुट से है)