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जगन्नाथ मंदिर निर्माण में 'पश्चिम बंगाल' सरकार का शामिल होना 'संविधान के विरूद्ध', कार्रवाई की मांग को लेकर Calcutta HC में याचिका

बीजेपी नेता कौस्तव बाघची द्वारा दायर जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार की दीघा मंदिर में संलिप्तता संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध है. याचिका में यह भी दावा किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा मंदिर के निर्माण में 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो अनुचित है.

Calcutta HC, Mamta Banerjee

Written by Satyam Kumar |Published : May 13, 2025 7:53 PM IST

मंगलवार के दिन यानि आज कलकत्ता हाई कोर्ट के एक डिवीजन बेंच के सामने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें पूर्वी मिदनापुर के दिघा में हाल ही में उद्घाटन किए गए भगवान जगन्नाथ मंदिर में पश्चिम बंगाल सरकार की संलिप्तता पर सवाल उठाया गया है. यह याचिका हाल ही में बने भगवान जगन्नाथ मंदिर, दीघा के संबंध में है, जिसे ओडिशा के प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ धाम मंदिर के मॉडल पर बनाया गया है.

यह याचिका कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील और राज्य के भाजपा नेता कौस्तव बागची द्वारा दायर की गई है.  बीजेपी नेता ने विभिन्न बिंदुओं पर तर्क किया है, जिसमें कहा गया है कि दीघा मंदिर के साथ राज्य सरकार की भागीदारी, जिसे सरकारी रिकॉर्ड में श्री जगन्नाथ धाम सांस्कृतिक केंद्र के रूप में दिखाया गया है, संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है.

जस्टिस सोमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास की बेंच ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है. बागची ने याचिका में यह भी अनुरोध किया है कि इस मामले की पहली सुनवाई 19 मई तक की जाए. बागची ने याचिका में पहला प्रश्न उठाया है कि पश्चिम बंगाल हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (WBHIDCO), जो दीघा मंदिर की कार्यान्वयन एजेंसी है, का कार्यालय का पता दीघा मंदिर ट्रस्ट के पते के रूप में कैसे दिखाया गया है. बागची ने मंदिर ट्रस्ट को किए गए दान पर कर छूट की घोषणा पर भी आपत्ति उठाई है. उनका सवाल है कि जब कानूनी प्रावधान के अनुसार, कोई भी राज्य सरकार धार्मिक प्रतिष्ठान के निर्माण में शामिल नहीं हो सकती, तो कर छूट की घोषणा कैसे की जा सकती है.

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इसके अलावे बीजेपी नेता ने यह भी उठाया कि किसी भी धार्मिक संरचना के निर्माण में राज्य खजाने से पैसे कैसे खर्च किए जा सकते हैं, जैसा कि दीघा भगवान जगन्नाथ मंदिर के मामले में हुआ है. याचिकाकर्ता के अनुसार, दीघा संरचना के लिए राज्य खजाने से अनुमानित लागत 250 करोड़ रुपये है. मंदिर के उद्घाटन के बाद से कई विवाद उठ चुके हैं.

याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई कि दीघा मंदिर में देवताओं को तराशने के लिए पुरी के श्री जगन्नाथ धाम मंदिर के लिए रखे गए बचे हुए लकड़ी का उपयोग किया गया है. साथ ही दीघा में संरचना का वर्णन करने के लिए 'धाम' का उपयोग किया गया है, जबकि इस शब्द का एक बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक अर्थ है. हिंदू विश्वास के अनुसार, बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारका और पुरी के मंदिरों के अलावा, किसी अन्य धार्मिक संरचना को 'धाम' के रूप में संदर्भित नहीं किया जा सकता है.