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Hindenburg Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा सिर्फ धनी लोग निवेश नहीं करते, कैसे रहेंगे निवेशक सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने​ हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निवेशकों को हुए नुकसान पर चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए नियामक तंत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. सुप्रीम कोर्ट केन्द्र के जवाब के बाद सोमवार 13 फरवरी को मामले पर सुनवाई करेगा

Written by Nizam Kantaliya |Published : February 10, 2023 12:29 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से रिपोर्ट जारी करने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों की गिरावट और लाखों लोगों को हुए नुकसान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से पूछा कि आखिर भविष्य में निवेशक कैसे सुरक्षित रहेंगे. हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग को लेकर अधिवक्ता विशाल तिवारी और मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है.

अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में SIT बनाकर मामले की जांच कराने की मांग की है. वही मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर निर्दोष निवेशकों का शोषण और उनके साथ धोखाधड़ी करने के लिए शार्ट सेलर के खिलाफ जांच किए जाने की मांग की है.

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने अडाणी के शेयरों में आई भारी गिरावट के चलते निवेशकों को हुए नुकसान को लेकर केंद्र सरकार से राय मांगी है.

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पीठ ने केन्द्र से पूछा है कि भविष्य में फिर से ऐसा ना हो, इसके लिए क्या नियामक तंत्र हो? पीठ ने कहा कि निवेशकों के हितों की रक्षा करना जरूरी है ऐसे मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञ पैनल बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया. पीठ ने कहा कि पैनल में सेबी, प्रतिभूति क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के सदस्य शामिल हो सकते है.

सीजेआई ने क्या कहा

सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, हम कैसे ये सुनिश्चित करें कि निवेशकों का संरक्षण किया जाए, क्या हमारे पास पुख्ता मैकेनिज्म है. भविष्य में ऐसा ना हो क्या इसके लिए इतंजाम हैं?

सीजेआई के यह कहने पर कि अखबारों के मुताबिक सात लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. एसजी ने कहा कि यह सब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के चलते हुआ है.

एसजी तुषार मेहता ने नुकसान के आंकड़े पर कहा कि ये कहना अभी मुश्किल होगा, लेकिन यह सब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हुआ.

सेबी पर आरोप नहीं

सुनवाई के दौरान CJI ने सेबी को लेकर कहा कि इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या नियामक ढांचे में किसी संशोधन की आवश्यकता है.

हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक तंत्र बनाने की आवश्यकता है कि भविष्य में ऐसा न हो. क्या किसी एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जा सकता है?

सीजेआई ने अपने कथन के साथ ही स्पष्ट भी किया वे सेबी पर कोई आक्षेप नहीं लगा रहे है. केवल हम निवेशकों को हुए नुकसान की चिंता कर रहे है. सीजेआई ने कहा कि वर्तमान में देश का मध्यम वर्ग खास तौर पर बड़े पैमाने पर निवेश करता है. हमें इसका ध्यान रखने की जरूरत है.

केन्द्र की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वे इस पर निर्देश लेकर ही जवाब दे सकते है .

SEBI वो सब कुछ कर रहा, जो करना चाहिए

निवेशकों को हुए नुकसान को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट ने तंत्र पर सवाल खड़े किए तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सेबी के पक्ष में कई बातें कही.

तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का मुख्य बिंदु यह है कि रिपोर्ट बाहर की है और हमारा उस पर कोई नियंत्रण नहीं है. एसजी ने पीठ से कहा कि सेबी इस मामले पर नजर बनाए हुए है और निगरानी कर रही है. SEBI वो सब कुछ कर रहा, जो उसे करना चाहिए.

एसजी मेहता ने कहा कि भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए तंत्र तैयार किया जाएगा.

आपके जवाब के साथ करेंगे सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा यह कहने पर की रिपोर्ट बाहर की है और उस पर हमारा नियंत्रण नहीं है. सीजेआई ने कहा कि इस पर कुछ थॉट प्रोसेस होना चाहिए और जरूरी लगे तो कानूनी और रेगुलेटरी बदलाव होने चाहिए. ऐसा तंत्र होना चाहिए कि भविष्य में ऐसा नहीं हो.

सीजेआई ने इस मामले में केन्द्र सरकार के जवाब के लिए सोमवार तक का वक्त देते हुए कहा कि हम इस पर केन्द्र के जवाब के साथ सोमवार को सुनवाई करेंगे. आपके जवाब के साथ सोमवार को मामले पर गौर करेंगे.