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388 करोड़ के बाजार नियम उल्लंघन मामले में गौतम अदाणी को बड़ी राहत, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपों से बरी किया

साल 2012 में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) द्वारा अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और इसके प्रमोटरों के खिलाफ 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन के उल्लंघन की जांच शुरू की गई थी.

Written by Satyam Kumar |Published : March 17, 2025 2:04 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को अदानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदानी और प्रबंध निदेशक राजेश अदानी को लगभग 388 करोड़ रुपये के बाजार नियमों के उल्लंघन मामले में आरोपों से बरी किया है. 2012 में, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और इसके प्रमोटरों के खिलाफ मामला शुरू किया था. अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ यह मामला सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने 2012 में शुरू किया था. यह मामला तब शुरू हुआ जब SFIO ने अदानी समूह की वित्तीय लेन-देन और नियामक अनुपालन को लेकर चिंता जाहिर की. SFIO ने अपने आरोप पत्र (Chargesheet) में गौतम अदानी और राजेश अदानी पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. 2019 में, दोनों उद्योगपतियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेशन के उस आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसमें सेशन कोर्ट ने उन्हें आरोपों से मुक्त करने से इनकार किया था. याचिका में अदानी समूह ने इस आदेश को मनमाना और अवैध बताया था.

गौतम अदाणी को बड़ी राहत

जस्टिस आर एन लड्डा की एकल बेंच ने सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों, अदानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अदानी और प्रबंध निदेशक राजेश अदानी को आरोपों से मुक्त करने का फैसला सुनाया है. उच्च न्यायालय का विस्तृत आदेश आने में थोड़ा समय लगेगा. इससे पहले 2019 में, हाई कोर्ट ने सत्र न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी, और इस रोक को समय-समय पर बढ़ाया गया.

मामले में अब तक

2012 में, SFIO ने 12 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें अदानी भी शामिल थे. लेकिन मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मई 2014 में उन्हें मामले से मुक्त कर दिया था. SFIO ने इस मुक्त करने के आदेश को चुनौती दिया. नवंबर 2019 में, एक सत्र न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि SFIO ने अदानी समूह द्वारा अवैध लाभ का मामला बनाया है. सेशन कोर्ट यानि कि सत्र न्यायालय के फैसले को गौतम अदाणी एवं उनके समूह ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दिया था, जिसमें आज उन्हें बड़ी राहत मिली है.

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