कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की याचिका खारिज करते हुए अस्थायी राहत दी है. बेंच ने सीबीआई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव दिया है. यह मामला कांग्रेस सरकार द्वारा सीबीआई जांच के लिए दी गई सहमति वापस लेने से जुड़ा है. बता दें कि ये मामला कथित तौर पर साल 2013-2018 के दौरान कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमाकर द्वारा अर्जित की गई संपत्ति से जुड़ा है.
कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस के. सोमशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई सर्वोच्च न्यायालय जा सकती है. हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने शिवकुमार का प्रतिनिधित्व किया है.
पीठ ने कहा,
"राज्य सरकार और सीबीआई के बीच के मामले को सर्वोच्च न्यायालय को तय करना चाहिए. यह उचित होगा यदि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले पर फैसला करे, क्योंकि इस संबंध में उच्च न्यायालय का निर्णय अनउपयुक्त हो सकता है."
न्यायमूर्ति उमेश एम अडिगा की पीठ ने भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल द्वारा दायर संबंधित याचिका को खारिज कर दिया. इससे पहले, एकल न्यायाधीश की पीठ ने मामले को खंडपीठ को यह कहते हुए संदर्भित किया था कि यह राज्य में अपनी तरह का पहला मामला है और इसके लिए बड़ी पीठ की आवश्यकता है. वहीं, जस्टिस सोमशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को 29 अगस्त के लिए सुरक्षित रख लिया था.
सीबीआई ने 25 सितंबर, 2019 को येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस लेने के कांग्रेस सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. सीबीआई का दावा है कि 2013-2018 के दौरान, कांग्रेस सरकार में मंत्री के रूप में शिवकुमार ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की है. भाजपा विधायक यतनाल ने इस संबंध में याचिका भी दायर की थी.