नई दिल्ली: आय से अधिक संपत्ति मामले में उत्तरप्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अब आगे सुनवाई करने से इंकार कर दिया है.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक जांच के बाद ही मामला बंद कर दिया था, मुलायम सिंह यादव का भी निधन हो चुका है और याचिका भी 6 साल बाद दायर की गई है.
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर सीबीआई द्वारा मुलायमसिंह के बेटो अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ कार्यवाही बंद करने पर सवाल उठाए थे. क्योकि उनकी शिकायत पर ही सीबीआई ने जाचं की थी, लेकिन उन्हे उस क्लोजर रिपोर्ट की एक प्रति नहीं दी गई.
वर्ष 2005 में याचिकाकर्ता और पेशे से अधिवक्त विश्वनाथ चतुर्वेदी ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी.
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च 2007 को सीबीआई को प्राथमिक जांच का आदेश दिया. अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं. जिसके बाद सीबीआई ने जांच जारी रखी.
वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिंपल को जांच के दायरे से बाहर कर दिया. वही मुलायम सिंह, अखिलेश और प्रतीक यादव के खिलाफ जांच चलती रही.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बरी 12 वर्ष बाद याचिकाकर्ता ने मार्च 2019 में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक एप्लीकेशन दायर कर सीबीआई द्वारा जाचं रिपोर्ट पूर्ण नही करने का आरोप लगाया.
एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस मामले में सीबीआई से जवाब मांगा.
सीबीआई द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब में सामने आया कि इस मामले की जांच अगस्त 2013 में ही बंद कर दी गई थी. सीबीआई ने इसके लिए शुरुआती जांच में नियमित एफआईआर दर्ज करने लायक सबूत नहीं मिलने का कारण बताया. सीबीआई ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट केंद्रीय सतर्कता आयोग को भी देने की बात कही.
सीबीआई द्वारा कोर्ट में पेश किए गए जवाब के आधार पर याचिकाकर्ता ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग में आरटीआई आवेदन के जरिए सीबीआई की रिपोर्ट की प्रति मांगी.
केंद्रीय सतर्कता आयोग ने आरटीआई के जवाब में सीबीआई की ऐसी किसी रिपोर्ट से इंकार करते हुए सीबीआई से संपंर्क करने को कहा गया.
जिसके बाद याचिकाकर्ता ने पुन: 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट की प्रति उसे उपलब्ध कराने का अनुरोध किया.