हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HC) ने तीन एचआईवी पॉजिटिव अर्धसैनिक बल के जवानों को पदोन्नति और नियुक्ति से वंचित करने के मामले में राहत प्रदान की है. हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों पर एचआईवी से पीड़ित व्यक्तियों को जॉब में बनाए रखने का दायित्व है. अदालत ने फैसले में कहा कि एचआईवी अधिनियम के अनुसार, एचआईवी पॉजिटिव होने के आधार पर किसी को पदोन्नति या नियुक्ति से वंचित करना भेदभाव है. अदालत ने कहा है कि जब तक नियोक्ता प्रशासनिक या वित्तीय कठिनाई का प्रमाण नहीं दे सकता, तब तक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों के साथ रोजगार में भेदभाव नहीं किया जा सकता.
मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में एचआईवी (मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) से प्रभावित व्यक्तियों के लिए रोजगार में 'उचित आवास' देने की कानूनी जिम्मेदारी को स्पष्ट किया है. तीन एचआईवी-पॉजिटिव पुरुषों को पदोन्नति और नियुक्ति से वंचित करने के मामले में न्यायालय ने राहत दी है. इस मामले में, दो याचिकाकर्ता, जो सीमा सुरक्षा बल (BSF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत थे, को पदोन्नति से वंचित किया गया था. तीसरे याचिकाकर्ता, जो बीएसएफ में प्रोबेशन पर थे, उन्हें भी 2023 में नियुक्ति से भी वंचित किया गया. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें केवल उनकी एचआईवी-पॉजिटिव स्थिति के कारण पदोन्नति और नियुक्ति से वंचित किया गया, जो कि एचआईवी एक्ट का उल्लंघन है.
जस्टिस नविन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने कहा कि एचआईवी एक्ट 2017, एचआईवी-पॉजिटिव व्यक्तियों को रोजगार के मामलों में भेदभाव करने से रोक लगाता है. अदालत ने यह भी स्पष्ट कहा कि जब तक नियोक्ता यह प्रमाणित नहीं कर सकता कि किसी एचआईवी-पॉजिटिव व्यक्ति को उचित आवास प्रदान न करने में प्रशासनिक या वित्तीय कठिनाई है, तब तक भेदभाव नहीं किया जा सकता.
बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं में से दो को 'गलत तरीके से' पदोन्नति से वंचित किया गया और यह केवल इस कारण से नहीं किया जा सकता कि वे एचआईवी-पॉजिटिव होने के कारण 'SHAPE-1' चिकित्सा श्रेणी में नहीं आते. अदालत ने कहा कि इस तरह का इनकार एचआईवी एक्ट द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा को नकारता है और संबंधित प्राधिकरणों को उनके मामलों की समीक्षा करने का निर्देश दिया. इसी तरह, तीसरे याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति को भी भेदभाव माना गया. अदालत ने निर्देश दिया कि उनकी सेवा में बने रहने या हटाने के संबंध में एक नई निर्धारण की प्रक्रिया की जानी चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने एचआईवी-पॉजिटिव व्यक्तियों की चिकित्सा श्रेणियों का विश्लेषण करते हुए पाया कहा कि कुछ मामलों में, ऐसे व्यक्तियों को सभी स्थानों पर कार्य करने के लिए 'फिट' माना जा सकता है, जबकि कुछ मामलों में उनके कार्य या पोस्टिंग के स्थान के लिए प्रतिबंध हो सकते हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल P5 चिकित्सा श्रेणी में रखे गए व्यक्तियों को स्थायी रूप से किसी भी प्रकार की सेवा के लिए 'अयोग्य' माना जाता है और उन्हें सेवा से बाहर किया जा सकता है. वहीं, एचआईवी से प्रभावित व्यक्तियों को उचित आवास प्रदान करने की कानूनी जिम्मेदारी नियोक्ताओं पर है.
HIV का वायरस समय के साथ अपने आकार को बदलता है. यह समय के साथ बड़ा होता रहता है. वहीं, HIV से पीड़ित कर्मियों के लिए गृह मंत्रालय ने दिशानिर्देश भी जारी की है, जिसमें SHAPE 1 नौकरी के लिए पूरी तरह से फिट है. वहीं, SHAPE 2 भी कुछ जगहों को छोड़कर सभी जगह नौकरी के लिए योग्य हैं. वहीं, SHAPE 4 (टेम्परेरी तरीके से) और SHAPE 5 (परमानेंट तरीके से) नौकरी के लिए अयोग्य बताया गया है. इस दिशानिर्देश में SHAPE को भी डिफाइन किया गया है, जिसमें S (साइकोलॉजी), H (हियरिंग), A (एपेंडेंजेस -appendage), P (फिजिकल एक्टिविटी) और E (आई साइट) के लिए यूज किया जाता है.