नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (State Mental Health Authority) का गठन न करने पर दिल्ली सरकार के सचिव (स्वास्थ्य) (Health Secretary, Delhi) को अदालत में तलब किया है। यह मामला मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ सुन रही है।
पीठ का यह कहना है कि पिछले साल दिए गए आश्वासन के बावजूद, यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है कि आज तक दिल्ली सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत एक स्थायी राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है।
समाचार एजेंसी भाषा के हिसाब से दिल्ली सरकार ने नवंबर 2022 में अदालत को बताया था कि अधिनियम की धारा 45 और 46 और उसके नियमों की आवश्यकताओं के अनुसार राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
पीठ ने कहा, “इस अदालत के पास जीएनसीटीडी के सचिव (स्वास्थ्य) को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।” पीठ में न्यायमूर्ति संजीव नरूला भी शामिल हैं। पीठ ने पिछले हफ्ते इस आशय का आदेश पारित किया था।
अदालत ने टिप्पणी की, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज तक उपरोक्त कानून के तहत स्थायी राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है।” अदालत ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण के गठन की स्थिति में सचिव को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाएगी।
मामले को 15 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए, अदालत ने दिल्ली सरकार को “मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल (राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण) नियम, 2018 के तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के गठन सहित अन्य सभी वैधानिक प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया”।
अदालत का यह आदेश मानसिक स्वास्थ्य कानून के प्रावधानों को लागू करने की दो याचिकाओं पर आया। याचिकाकर्ता व वकील अमित साहनी ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम का उद्देश्य मानसिक बीमारी वाले लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाएं प्रदान करना और देखभाल और सेवाओं के वितरण के दौरान ऐसे लोगों के अधिकारों की रक्षा करना, बढ़ावा देना और पूरा करना है।
उन्होंने दिल्ली सरकार को राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और जिला मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड गठित करने का निर्देश देने की मांग की है। याचिकाकर्ता श्रेयस सुखीजा ने भी कानून के अनुसार प्राधिकरण के गठन की मांग की।