हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने बैंक अकाउंट को फ्रॉड घोषित करने से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने कहा कि यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह खातों को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत करने से पहले वह अकाउंट होल्डर को फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (FAR) प्रदान करे. यह मामला उन लोगों से जुड़ा है, जिनके अकाउंट को ICICI Bank ने फ्रॉड घोषित कर दिया था. राहत पाने के लिए खाताधारकों ने दिल्ली हाई कोर्ट का रूख किया. आइये जानते हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-कुछ हुआ...
जस्टिस मनोज जैन की बेंच के सामने यह मामला लाया गया, जिसमें याचिकाकर्ताओं के खातों को जनवरी में 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत (To Classify as Fraud Account) करने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (FAR) नहीं दी गई, जिस आधार पर उनके खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया गया. सुनवाई के दौरान उपस्थित ICICI बैंक ने स्वीकार किया कि FAR याचिकाकर्ताओं को नहीं दी गई थी, लेकिन निर्देश मिलने पर इसे दो सप्ताह के भीतर प्रदान करने का आश्वासन दिया. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि FAR और इसके ऐडेंडम को याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर सौंपा जाए और याचिकाकर्ताओं को अपनी प्रतिक्रिया देने की स्वतंत्रता दी गई. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यह पूरी तरह से बैंक पर निर्भर करेगा कि वह याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत सुनवाई देने की आवश्यकता महसूस करता है या नहीं.
इससे पहले, जब याचिकाकर्ता बंबई हाई कोर्ट गए थे, तो उनकी याचिका केवल अधिकार क्षेत्र के सीमित बिंदु पर निपटाई गई थी. उस दौरान प्रतिवादी बैंक ने कहा कि उसे क्षेत्राधिकार के मामले में कोई शिकायत नहीं है, अगर पहले याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष फाइल की गई है.