दिल्ली उच्च न्यायालय ने सनातन धर्म रक्षा बोर्ड के गठन की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है. फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह अधिकारियों को ऐसा बोर्ड बनाने का निर्देश नहीं दे सकता क्योंकि यह नीतिगत मामलों के अंतर्गत आता है. सनातन हिंदू सेवा संघ ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले याचिकाकर्ता ने अन्य धर्मों के अनुयायियों द्वारा कथित हमलों के खिलाफ सुरक्षा की आवश्यकता को लेकर सनातन बोर्ड की मांग की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह अधिकारियों को इस तरह का बोर्ड गठित करने का निर्देश नहीं दे सकती क्योंकि यह मुद्दा नीतिगत क्षेत्र में आता है. पीठ में जस्टिस तुषार राव गेडेला भी शामिल थे, याचिकाकर्ता को अदालत के समक्ष आने की जगह सरकार से संपर्क करने के निर्देश दिए.
पीठ ने कहा,
‘‘ आपको सरकार के पास जाना होगा. हम ऐसा नहीं कर सकते. वे (सांसद) इसे संसद में उठाएंगे. हम यह नहीं कह सकते कि ट्रस्ट बनाएं.’’
याचिकाकर्ता 'सनातन हिंदू सेवा संघ ट्रस्ट' के वकील ने तर्क दिया कि बोर्ड 'सनातन धर्म' की रक्षा के लिए आवश्यक है जिसके अनुयायियों पर कथित तौर पर अन्य धर्मों के अनुयायियों द्वारा हमला किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसी तरह के बोर्ड अन्य धर्मों के लिए भी मौजूद हैं, लेकिन उनके प्रतिवेदन पर उन्हें अभी तक केंद्र से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. अदालत ने कहा कि उसके पास याचिकाकर्ता द्वारा मांगे गए निर्देश को पारित करने का ज्ञान या क्षमता नहीं है. याचिकाकर्ता को सरकार से संपर्क करने की छूट देने के बाद रिट याचिका बंद की जाती है.