Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को दस लाख रूपये का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जहां ये हादसा हुआ था, उस जगह की रख-रखाव की जिम्मेदारी एमसीडी की थी. एमसीडी को ये मुआवजा मृतक के पेरेंट को तीन महीने के भीतर देना है. बता दें कि एमसीडी पर ये जुर्माना 17 साल पुराने मामले पर लगा है जिसमें एक क्वार्टर का लेंटर गिरने से 17 साल के एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस पुरूषेंद्र कुमार की पीठ ने मृतक के पेरेंट को मुआवजे पाने का अधिकारी पाया. बहस के दौरान अदालत को बताया कि घटना के वक्त लड़ेक की उम्र 17 साल की थी और वो अपने स्कूल के कबड्डी टीम का कैप्टन था. अदालत ने तथ्यों पर विचार करते हुए कहा कि घटना नहीं हुई होती तो वह अपने करियर में बेहतर कर रहा होता.
अदालत ने कहा,
"अगर ये हादसा नहीं हुआ होता, तो बच्चे का भविष्य का उज्जवल होता."
दिल्ली हाईकोर्ट ने मृतक के परिजनों को मुआवजा देने को कहा है.
अदालत ने एमसीडी पर जुर्माना लगाते हुए कहा कि नगर निकाय पेरेंट को दस लाख रूपये के अलावा पीड़ित को छह प्रतिशत सलाना ब्याज के हिसाब से मुआवजे देगा. अदालत ने मृतक के पेरेंट को मुआवजे की राशि देने के लिए तीन महीने का समय दिया है. साथ ही अगर तीन महीने में पैसे का भुगतान नहीं होने पर दस प्रतिशत सलाना ब्याज के हिसाब से भुगतान करना पड़ेगा.
घटना 2007 की है, जहां एमसीडी क्वार्टर की एक लेंटर गिरने से 17 साल के युवक की जान चली गई थी. फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि क्वार्टर के रखरखाव की जिम्मेदारी एमसीडी की थी. वहीं मृतक के पेरेंट ने इस घटना का जिम्मेदार एमसीडी को बताकर 20 लाख रूपये मुआवजे की मांग की थी.