Delhi Riots Case: शरलील इमाम, दिल्ली दंगे के दौरान सुने जाने वाले मशहूर शख्सियतों में से एक. शरजील इमाम ने 'चिकेन नेक' तोड़ने की बात कहकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा. इमाम ने चिकेन नेक, दूसरे शब्दों में सिलीगुड़ी कॉरीडोर को ब्लॉक करके देश के उत्तर-पूर्वी भाग को मुख्य क्षेत्र से अलग करने का दावा किया. दिल्ली में चल रहे सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान शरजील इमाम ने जामिया नगर और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण से दूसरों को उकसाया. परिणामस्वरूप, राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत शिकायत दर्ज हुई.
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल शुरू होने में देरी को देखते हुए शरजील इमाम को राजद्रोह और यूएपीए मामलों में जमानत दी है. राहत मिलने के बावजूद शरजील अभी जेल में ही रहेंगे. वे 2020 के दिल्ली दंगे केस में भी आरोपी है.
दिल्ली हाईकोर्ट में, जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने शरजील इमाम की याचिका सुनी. बेंच ने पाया कि शरजील इमाम के ऊपर जो आरोप लगे हैं, उन मामलों में जितनी सजा होनी है, उसकी आधी तो इमाम ने जेल में पहले ही गुजार ली है. बेंच ने राजद्रोह, यूएपीए के मामले में राहत दी.
इमाम ने जमानत की मांग याचिका में कहा- वह पहले ही चार साल जेल में रह चुका है और इस मामले में मैक्सिमम सजा सात साल की होती है. इन परिस्थितियों में वह जमानत पाने का हकदार है.
अदालत ने मांग को मेरिट पर पाया. शरजील इमाम को राहत दी. लेकिन जमानत मिलने के बाद भी शरजील इमाम फिलहाल जेल में ही रहेंगे. वे दिल्ली दंगे केस में भी आरोपी है.
बता दें, शरजील इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट में कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, ट्रायल कोर्ट ने शरजील इमाम को जमानत देने से इंकार किया था. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शरजील इमाम को राहत दी है.