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क्या शरजील इमाम पर एक ही भाषण के लिए विभिन्न राज्यों में मुकदमा चलाया जा सकता है? राजद्रोह के मामलों सहित अन्य FIR Club मांग पर Supreme Court ने पूछा

शरजील इमाम ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए विरोधी प्रदर्शन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के चलते विभिन्न राज्यों में दर्ज FIRs को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया है.

Sharjeel Imam, Supreme court

Written by Satyam Kumar |Published : May 1, 2025 7:08 PM IST

29 अप्रैल के दिन सुप्रीम कोर्ट ने इमाम की 2020 की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दिए गए कथित भड़काऊ भाषण के लिए चार राज्यों, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम पर एक ही भाषण को लेकर राजद्रोह समेत अन्य अपराधों के लिए विभिन्न राज्यों में मुकदमा चलाया जा सकता है. आइये जानते हैं कि सुनवाई के दौरान क्या-कुछ हुआ...

कोर्टरूम आर्गुमेंट

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने आग्रह किया कि एक भाषण के लिए देश भर में कई मुकदमों का सामना नहीं किया जा सकता. वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि उसने बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भीड़ को उकसाया. अपराध अलग-अलग है. दिल्ली पुलिस ने इमाम के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है.

चीफ जस्टिस ने कहा,

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‘‘लेकिन भाषण एक ही है और वह भाषण यूट्यूब समेत अन्य जगहों पर है, और इसे पूरे भारत में सुना जा सकता है, तो इसका प्रभाव एक ही होगा.’’

हालांकि चीफ जस्टिस ने सभी मामलों की सुनवाई के लिए दिल्ली स्थानांतरित किया जाने पर जोर दिया. इस पर एएसजी राजू ने कहा कि वह अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं इसलिए, उनके पास मामलों को जोड़ने या स्थानांतरित करने का निर्देश नहीं है. एएसजी ने कहा कि देश के खिलाफ अपराध एक मुद्दा है और समाज के खिलाफ अपराध अलग है.

चीफ जस्टिस ने कहा,

‘‘अगर अलग-अलग भाषण होते तो आप सही हो सकते थे. यहां, भाषण एक ही है...अगर आप सहमत हैं, तो अन्य राज्यों में मुकदमे पर रोक लगाई जा सकती है.’’

एएसजी राजू ने अपना रुख दोहराया, जिसके बाद पीठ ने सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. बताते चलें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने पूर्व में उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से पूछा था कि इमाम के खिलाफ कई प्राथमिकियों में मुकदमे दिल्ली स्थानांतरित किए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति है या नहीं. शीर्ष अदालत ने 26 मई, 2020 को उनसे और दिल्ली सरकार से मामले में जवाब मांगा था. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज कराए गए राजद्रोह के एक मामले में 28 जनवरी, 2020 को इमाम को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया था.

राजद्रोह का मुकदमा

जेएनयू के पूर्व छात्र इमाम पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया था. सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उनके कथित भड़काऊ भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए थे. दिल्ली पुलिस ने 25 जनवरी, 2020 को इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर वैमनस्य या दुश्मनी की भावना को बढ़ावा देना या बढ़ावा देने का प्रयास करना) सहित अन्य प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)