हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति पर हुए FIR को रद्द किया है. व्यक्ति ने FIR रद्द करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दिया था. अदालत ने व्यक्ति को राहत दी है लेकिन साथ में अनोखा शर्त भी रखा है. अदालत ने कहा, यह FIR एक शर्त पर ही खत्म होगी अगर आप तीस दिनों के लिए ट्रैफिक पुलिस की सहायता करेंगे. साथ ही आपको इस काम के बाद DCP, ट्रैफिक से मिले सर्टिफिकेट को अदालत के सामने जमा करना होगा. बता दें कि व्यक्ति पर महिला के साथ आपत्तिजनक बर्ताव करने का आरोप लगा था. व्यक्ति ने उच्च न्यायालय से इस FIR को रद्द करने की मांग की थी.
उच्च न्यायालय में जस्टिस नवीन चावला ने इस मामले को सुना. बेंच ने व्यक्ति को राहत देने को लेकर एक अनोखी शर्त रखी जिसमें उसे तीस दिनों के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद करनी होगी. साथ ही यह कार्य पूरा होने पर DCP, ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त होनेवाले सर्टिफिकेट को अदालत को अदालत के रिकार्ड पर रखें. अदालत ने व्यक्ति को इस कार्य को दो महीने के अंदर करने के निर्देश दिए हैं.
जस्टिस चावला ने कहा,
" उसे (व्यक्ति को) ट्रैफिक सिग्लन पर ट्रैफिक पुलिस की मदद करनी होगी. अपने कार्य का रिपोर्ट उसे डीसीपी, ट्रैफिक को देना होगा. तीस दिन पूरा होने पर डीसीपी, ट्रैफिक उसे एक सर्टिफिकेट देंगे, जो उसे अदालत के सामने दो महीनों के भीतर जमा करना होगा."
बेंच ने हिदायत दी,
"अगर वह सर्टिफिकेट अदालत के रिकार्ड पर नहीं पहुंचती है, तो रजिस्ट्री इस मामले को फिर से अदालत के सामने लाएगी."
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता (आरोपी) और शिकायतकर्ता (महिला) के बीच समझौता होने को लेकर बातचीत जारी है. बेंच ने पाया कि दोनों पक्ष विवाद को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने FIR को रद्द करने की इजाजत अपने शर्त के साथ दे दी है.
विजय बोहट नामक व्यक्ति के खिलाफ एक महिला ने FIR दर्ज कराया. महिला ने व्यक्ति पर आपत्तिजनक बर्ताव करने का आरोप लगाया. शिकायत के आधार पर पुलिस ने व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (एक महिला की लज्ज भंग करना), 506 (अपराधिक इरादे) और 509 (महिला के साथ गलत हरकतें करना) के तहत मामले को दर्ज किया. व्यक्ति ने उच्च न्यायालय से इसी FIR को रद्द करने की मांग की थी.