दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) से जुड़े मामले की सुनवाई की. मामले में उत्पन्न परिस्थितियों पर विचार कर कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के ऊपर PMLA से जुड़ी मामले में जांच चल रही हो, और जांच के साल भर होने के बाद भी अगर व्यक्ति पर आरोप साबित नहीं हो पाए, तो ऐसे में ED को जब्त की संपत्ति लौटानी होगी. कोर्ट ने कहा 365 दिनों के बाद संपत्ति जब्त करने की अवधि लैप्स हो जाती है, ED को संपत्ति संबंधित व्यक्ति को वापस करनी पड़ेगी.
PMLA केस में कोर्ट की सुनवाई चल रही हो. यह सुनवाई को शुरू हुए जब 365 दिन गुजर जाए, और तब तक ED, अगर किसी आरोप को साबित करने लायक सबूत इकटठा नहीं कर पाए, तो ऐसे हालात में उसे जब्त की संपत्ति को वापस उस व्यक्ति को लौटा देना होगा. इस साल भर के समय में ED द्वारा भेजे समन, उस समन को कोर्ट में चुनौती देने और जब्ती कार्रवाई के खिलाफ समन देने में लगा समय को काउंट (जोड़ा) नहीं जाएगा.
जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि PMLA से जुड़े मामले को सुनवाई के एक साल होने पर भी ED अपनी जांच पूरी नहीं कर पाती है या आरोप सिद्ध करने लायक सबूत इकटठा करने में असमर्थ रहती है, तो उसे जब्त की गई संपत्ति को लौटानी होगी. जस्टिस ने कहा कि PMLA में संपत्ति को जब्त करने का कड़ा प्रावधान है. इसे प्रयोग में लाने से पहले विचार करना चाहिए.
मामला महेंन्द्र कुमार खंडेलवाल बनाम ED का है, जिसमें वादी ने कोर्ट से कहा कि फरवरी, 2021 में ED ने सर्च के दौरान उसके घर से ज्वैलरी और अन्य कागजात जब्त कर लिए थे. अब साल होने को है. ये सारे समान अब भी ED के पास ही है. इस बात पर ही कोर्ट ने ये फैसला दिया कि अगर साल भर बाद भी ED अपनी जांच जारी रखती है, तो उसे जब्त की संपत्ति व्यक्ति को वापस देनी होगी.